बिहार बोर्ड 10th Economics Vvi Solved Question answer 2025
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बिहार बोर्ड 10th Economics Vvi Solved Question answer 2025

भारत में नोटबंदी की घोषणा, 8 नवंबर, 2016 को हुई थी।

भारत में प्रतिभूति-मुद्रण एवं सिक्कों का उत्पादन

1. इण्डिया सिक्योरिटी प्रेस, नासिक (महाराष्ट्र) नासिक रोड स्थित भारत प्रतिभूति मुद्रणालय में डाक सम्बन्धी लेखन सामग्री, डाक एवं डाक भिन्न टिकटों, अदालती एवं गैर-अदालती स्टाम्पों, बैंकों के चेकों, बॉण्डों, राष्ट्रीय बचत पत्रों, पोस्टल ऑर्डर, पासपोर्ट, इन्दिरा विकास पत्रों, किसान विकास पत्रों आदि के अलावा राज्य सरकारों, सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों, वित्तीय निगमों आदि के प्रतिभूति पत्रों की छपाई की जाती है।

की व्यापवादक्षिणात्य की पूरा करने एवं पूरे देश की माती की भौगों को शुल्क ण की भौग को पूरा करने के लिए 1982 में की गई थी, ताकि भारत प्रतिभूति मुष्णाय नासिक के उत्पादन की अनुपूर्ति की जा सके।

कीतिक (महाराष्ट्र) नासिक रोड स्थित कोली भीट पेश 10.50, 100, 500 रुपये के बैंक नोटाती है और उनकी पूर्ति करती है।

4. बैंक नोट पेस(मध्यप्रदेश देवास स्थित बैंक नोट पेश 20 रुपये, 50 रुपये. 100 रुपये के और उच्च मूल्य वर्ग के नोट छापती है। बैंक नोट प्रेस का स्याही का कारखाना प्रतिभूति पत्रों की स्याही का निर्माण भी करता है।

नानी (पश्चिम बार) तयार (कर्नाटक) के भारतीय रिजर्व बैंकको नये एवं अत्याधुनिक करेन्सी नोट प्रेश मैसूर (कर्नाटक) तथा शालवी (पश्चिम बात में स्थापित किये गये हैं, यहीं 11 के नियंत्रण में कोन्सी नोट छापे जाते हैं।

सिक्यूरितीमध्य प्रदेश) बैंक और करेगी मोह कागज तथा नान ज्यूडिशियर स्टाम्प पेपर की छपाई में प्रयोग होने वाले कागज का उत्पादन करने के लिए सिक्यूरिटी पेपर मिल होशंगाबाद में 1967-68 में चालू की गई थी।

टकसाल (Mints)

सिक्कों का उत्पादन करने तथा गोने और चाँदी की परख करने एवं तमगों का उत्पादन करने के लिए भारत सरकार की चार टकसाले मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद तथा नोएडा में स्थित है। मुम्बई, हैदराबाद और कोष्काता की टकसाले काफी समय पहले क्रमश 1830, 1903 और 1950 में स्थापित की गई थी जबकि नोएडा की टकसाल 1989 में स्थापित की गई थी। मुम्बई तथा कोलकाता की टकसालों में सिक्कों के अध्यया विभिन्न प्रकार के पदकों (मेडल) का भी उत्पादन किया जाता है।

भारत में सिक्के जारी करने के लिए अधिकृत है।

कॉलमनी मार्केट यह आयना ही अल्प अवधि वाले फण्ड का बाजार होता है जिसमें बिना किसी प्रत्याभूति के फण्ड का उधार लेना व देना होता है। कॉलमनी की मांग मुख्यतया व्यापारिक बैंक द्वारा होती है जो दूसरे बैंकों में अत्यन्त ही अल्प गमय (1 से 14 दिन) के लिए उधार लेते हैं जिससे सी आर आर सम्बन्धी अपने पास रखी जाने वाली नकद शेष सम्बन्धी अनिवार्यता के दाचित्य को पूरा कर सकें। जब उधारी एक दिन की होती है तो उसे कोलमनी कहते हैं पर जब उधारी एक दिन से अधिक होती है तो उसे कॉलनीति कहते हैं।

कॉलमनी मार्केट में प्रचलित होने वाली ब्याज दर फण्ड की पूर्ति तथा फण्ड की माँग पर निर्भर करती है और सामान्यतया कौलोट (ब्याज दर जिस पर सौदा होता है) में बहुत ही उग्रता होती है।

सामान्यतया कॉलरेट की रातभर की दर (Overnight rate) के रूप में जाना जाता है जिसपर एक बैंक दूसरे बैंक को उधार देता है। इसे यू. एस ए में फेडरल रेट कहते हैं। बैंक दर को फेडरल डिस्काउन्ट रेट भी कहते हैं।

1 जुलाई, 2011 को आर वी आई द्वारा निर्गत निर्देश के अनुसार उधार लेने तथा उधार देने वाले दोनों रूपों में भाग ले सकते हैं । व्यापारिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को छोड़कर) सहकारी बैंक (भूमि विकास बैंक को छोड़कर), प्राथमिक डीलर।

बैंकों से दिये जाने वाले ऋणों की बहुत अधिक माग होती है या बैंक को अपनी CRR तथा SLR संबंधी आवश्यकता की पूर्ति तक करनी होती है तो वित्तीय संस्थाएँ अपनी तत्कालिक तरलता की मौत को पूरा करने के लिए कॉलमनी मार्केट में उधारी के लिए जाती है। दूसरी ओर LIC GIC UTI बैंक, DFHI एवं बड़े-बड़े न्यूअल फण्ड, अपने फण्ड कॉलमनी मार्केट में डालते हैं।

DELII (Discount and Finame House of India Securities Trading Corpor of India Limited) की स्थापना विशेषता ताको नियंत्रित करने के लिए की गई है।

भारत में इस समय दो कॉल दर अबैंकदर (ter Bank Call Rate) n H की उधारी दर।

कॉल दर बैंक दर से ऊपा या नीचे हो सकती है। FHI am निधर्धारित वर सामान्यतया बैंक दर से ऊपर होती है।

मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, अहमदाबाद तया चेन्नई प्रमुख कल सेन्टर है। सामान्यतया कॉल दर मुम्बई में न्यूनतम तथा कोलका में उच्चतम होती है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया परोक्ष रूप से हस्तक्षेप करके कॉल बाजा की उयता में कभी लाता है एवं इसे स्थायित्व प्रदान करता है। इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की उपाय करता है DFHI तथा कॉलमनी बाजार की मस्याओं को अधिक क उपलब्ध करता है तथा रीपो नीलामी कराता है।

Parthen (Deasury Bills) यह आप अवधि की प्रतिभूतियाँ होती है जिसके माध्यम से मरकार उधार लेती है। इसका निर्गमन सरकार के लिए रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है। वर्तमान RIBI. 91 एवं 364 दिन की ट्रेजरी बिल् निर्गमित करता है इनकी

बोट न्यूनतम राशि 25.000 रुपया तथा इसी गुणक में होती है। भारत में ट्रेजरी बिल्स पहली बार की गयी।

कटेरी फिल्ला (Adhoc Treasury Bills) वह सरका की अत्यन्त ही अन्यायी फण्ड संबंधी आवश्यकता की पूर्ति के लिए निर्गमित की जाती है। यह रिजर्व बैंक के नाम से निगमित

भोर तरलता की दृष्टि से प्रतिभूतियों एवं ऋणों का अनुक्रम क्रमशः नकद ऐडहॉक ट्रेजरी बिल्ला टेजरी बिल्स एवं कलिपनी।

मुढा बाजार का उपबाजार एक विशेष प्रकार का प्रतिभूति बाजार है। ये प्रतिभूतियाँ है कॉल मुद्रा, अल्पावधि के बिल, 182 दिन के ट्रेजरी बिल जमा प्रमाण पत्र और व्यापारिक पत्र आदि।

DFHI अर्थात् डिस्काउन्ट एंड फाइनेन्स हाउस ऑफ इंडिया कि पुश बाजार की एक विशिष्ट संस्था है, जिसकी स्थापना 1988 में की गई तथा इसका कार्य बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं की कटौती और फिर कटौती की आवश्यकताओं को पूरा करना है।

MMMF, अर्थात् मनी मार्केट म्यूचुअल फण्ड्स एक अन्य विशिष्ट संस्था है, जिसकी स्थापना का उद्देश्य व्यक्तियों को मुद्रा बाजा के उपकरण उपल्ब्ध कराना था। इसकी स्थापना 1992 ई. में की गई।

पूँजी बाजार, मुद्रा बाजार से इस बात से भिन्न है कि मुद्रा बाजा अल्पावधि की वित्तीय व्यवस्था का बाजार है जबकि पूँजी बाजा में मध्यम तथा दीर्घकाल के कोषों का आदान-प्रदान किया जाता है।

भारतीय पूँजी बाजार को मोटे तौर पर दो भागों में बाँटा जরা है-गिल्ड एज्ड बाजार और औद्योगिक प्रतिभूति बाजार।

गिल्ड एज्ड बाजार में रिजर्व बैंक के माध्यम से सरकारी और अर्द्धसरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय किया जाता है।

गिल्ड एज्ड बाजार में सरकारी और अर्द्धसरकारी प्रतिभूतियों को मूल्य स्थिर रहता है और इस क्षेत्र की अन्य प्रतिभूतियों के समार इनमें अस्थिरता नहीं होती है।

औद्योगिक प्रतिभूति बाजार में नये स्थापित होने वाले या पहले से स्थापित औद्योगिक उपक्रमों के शेयरों और डिबेन्चरों का कप विक्रय किया जाता है।

यदि पूँजी बाजार में निजी निगम क्षेत्र के नये अशी और डिबेन्य सरकारी कम्पनियों की प्राथमिक प्रतिभूतियों या नयी प्रतिभूतियों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बॉण्डों के निर्णभों का क्रय विक्रय किया जाता है. तो ऐसे बाजार प्राथमिक पूँजी बाजार कहे जाते हैं।

 

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