बिहार बोर्ड महत्वपूर्ण प्रश्न उतर 10th और 12th
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Bihar Board 10th और 12th महत्वपूर्ण प्रश्न उतर

1. ‘व्याघ्रपथिककथा’ कहाँ से लिया गया है? इसके लेखक कौन क्या शिक्षा मिलती है? छः वाक्यों में लिखें।

नारायण पंडित ने नीतिपरक ग्रंथ हितोपदेश लिखा है जिसके ‘मित्रलाभ’ नामक खण्ड से व्याघ्रपथिक कथा संकलित है। इस कहानी में एक बूढ़ा बाघ जो धूर्त है आते-जाते राहगीरों को हाथ में रखा सोने का कंगन दिखाता है और उसे लेने का प्रस्ताव देता है। एक राहगीर उस पर विश्वास कर उसके जाल में फँस जाता है। वह तालाब में स्नानकर कंगन लेने के लिए कहता है और जब वह इस निमित तालाब में प्रवेश करता है तो कीचड़ में फंसकर उसके द्वारा पकड़ लिया जाता है और मार डाला जाता है। इस पाठ से हमें यही शिक्षा मिलती है कि लोभ का परिणाम विनाशकारी होता है। अतः लोभ नहीं करना चाहिए।

2. “ज्ञानं भारः क्रियां बिना” यह उक्ति व्याघ्र पथिक कथा पर कैसे चरितार्थ होती है?

उचित कार्य-व्यवहार के बिना ज्ञान व्यर्थ है।” सोने का कंगन देखकर पथिक लोभ का शिकार हो जाता है और किसी भी तरह उसे प्राप्त करने को उद्यत हो जाता है। उसकी बुद्धि उसको संदेह करने को प्रवृत्त करती है और वह उसका निराकरण स्वयं न कर व्याघ्र को करने कहता है। व्याघ्र उसकी कमजोरी को भाँप लेता है और अपने को बूढ़ा, लाचार और धर्मशास्त्रों का अध्ययनकर्त्ता बताता है तथा महापंक में फँसकर पकड़ लिया जाता है और मार डाला जाता है। अतः सही ही कहा गया है- “ज्ञानं भारः क्रियां बिना।”

3. धन और दवा किसे देना उचित है?

धन दरिद्रों को पात्र, स्थान, काल आदि समसामयिक परिस्थिति का आकलन कर देना चाहिए एवं जो रोगी मानव है उसे ही दवा की आवश्यकता है निरोगी दवा को लेकर क्या करेगा?

4. सोने के कंगण को देखकर पथिक ने क्या सोचा?

लोभ से ग्रसित पथिक ने सोने के कंगन को देखकर यह सोचा कि भाग्य से ही ऐसा अवसर प्राप्त होता है परंतु घातक पशु के हाथों से दान लेना मृत्युकारक भी हो सकता है। परंतु उसने यह भी सोचा कि धनप्राप्ति में तो संशय बना ही रहता है तो क्यों न एक अवसर लेकर व्याघ्र की सत्यवादिता की परीक्षा कर ली जाए।

5. बाघ ने स्वयं को अहिंसक सिद्ध करने के लिए क्या तर्क दिया?

व्याघ्रपथिक कथा’ शीर्षक पाठ में बाघ स्वयं को बूढ़ा, नखदंतगलित और पूर्व में किए गए पाप कर्मों के फलस्वरूप अपनी पत्नी और बच्चों के सामयिक निधन की बात कहता है। साथ ही अपने द्वारा शास्त्रों के अध्ययनकी बात भी श्लोक पाठकर बताता है जिससे पथिक लोभ का शिकार बन उसका भोजन बन जाता है।

6. ‘ज्ञानं भारः क्रियां बिना’ का अर्थ स्पष्ट करें।

व्याघ्रपधिक कथा’ का मुख्य प्रतिपाद्य लोभ का दुष्परिणाम दिखाना है। लोभी पथिक बूढ़े बाघ की चाल में फँस जाता और जीवन से हाथ घो बैठता है। ज्ञान हो परंतु यदि उसका व्यावहारिक पक्ष ज्ञात न हो तो वह ज्ञान किसी काम का नहीं। अवसर उपस्थित होने पर कोरा ज्ञान नहीं बल्कि उसके व्यवहारगत आकलन की आवश्यकता महत्वपूर्ण होती है। पथिक जानता था कि बाघ पर विश्वास करना मृत्यु को न्योता देना है परंतु फिर भी उसने इसकी उपेक्षा की और अंततः मारा गया।

7. किसको दान देना चाहिए?

व्याघ्नपधिक कथा’ शीर्षक पाठ में बूढ़ा बाघ पथिक को अपने शिकंजे में फँसाना चाहता है और धर्मादि अनेक विषयों की उत्तम बातों को बोलता है। जब उसने अपने पापकर्मों के कारण स्वयं को विधुर और अपने बच्चों के मारे जाने की बात कही तो पथिक कुछ सोचने पर विवश हो गया। मौका देखकर उसने यह भी कह डाला कि उसने धार्मिकों द्वारा दान आदि किए जाने की बात कहने पर सुवर्ण कंगन देना चाहता है। शास्त्रसम्मत बातों का उद्धरण देते हुए वह कहता है कि दान उसे ही देना चाहिए जिसे उसकी जरूरत हो तथा देश काल और (सुपात्र का चयन कर ही देना श्रेयस्कर होता है) अन्य किसी को देने से भी दान का फल नहीं प्राप्त होता। इतना सुनकर पथिक उसके जाल में फँस गया और उसकी शर्तों पर तैयार होकर तालाब में प्रवेश कर गया और कीचड़ में फँसकर मारा गया।

8. सात्विक दान क्या है? पठित पाठ के आधार पर उत्तर दें।

देश, काल, स्थान और पात्र को ध्यान में रखकर दिया गया दान सात्विक दान कहलाता है। आवश्यकता जिसे है उसी को दिया गया दान वास्तविक दान है। व्याघ्रपथिक कथा में बूढ़ा बाघ पथिक को उपर्युक्त बातें समझाकर कहता है कि जिससे पथिक उसकी बातों में आ जाता है और स्वयं को दान लेने का योग्य पात्र समझ बैठता है और अंततः जान से हाथ धो बैठता है।

9. अनिष्ट से इष्ट की प्राप्ति का परिणाम कैसे बुरा होता हैं।

नारायणपंडित विरचित ‘कथा-ग्रंथ हितोपदेश की व्याघ्र-पथिक कथा में राहगीर जब बाघ की हाथों से सुवर्ण कंगन को लेने के प्रस्ताव को सुनता है तो मानवोचित आत्ससंदेह की यह प्रवृत्ति जाग जाती है कि क्या उसके जैसे हिंसक पशु के प्रस्ताव पर विश्वास करना उचित है या नहीं। इसी प्रसंग में उसकी उक्ति है कि अनिष्ट अथवा अविश्वसनीय साधनों से अगर इच्छा की पूर्ति होती भी है तो निश्चित रूप से उसका अंतिम प्रभाव अमंगलकारी ही होता है। यदि विष को अमृत के संसर्ग में रखा जाए तो क्या उसके सेवन से मृत्यु नहीं होगी अर्थात् अवश्य होगी। खराब और गलत कारणों से खराब और गलत कार्यों की ही उत्पत्ति होगी।

10. बूढ़े बाघ ने पथिक को कैसे मारा?

बूढ़ा बाघ हाथ में सोने का कंगन लेकर सरोवर के किनारे बैठकर बोल रहा था। कोई इस कंगन को ले लो। लोभवश कोई पथिक सोचा। भाग्य से ही संभव है। बाघ ने तर्क दिया। मैं असहाय, दानी, नखदंतहीन हूँ। पथिक उसपर विश्वास कर स्नान करने के लिए सरोवर में गया। वहाँ कीचड़ में फँस गया। अंत में बाघ के द्वारा खा लिया गया।

 

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