1.राष्ट्रीय खेल हॉकी
विचार बिन्दु- 1. भूमिका, 2. खिलाड़ी और हॉकी खेलने का समय, 3. महत्त्व, 4. निष्कर्ष।
भूमिका भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी विश्व के लोकप्रिय खेलों में एक है। यह खुले मैदान में खेले जाने वाला एक खेल है। इसमें दो टीमें हिस्सा लेती है, जिसके 11-11 खिलाड़ी मैदान में खेलते हैं।
यह खेल भारत के अलावा हॉलैण्ड, जर्मनी, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड आदि देशों में खेला जाता है। विश्व के सबसे बड़े अन्तर्राष्ट्रीय खेल आयोजन ‘ओलम्पिक’ के साथ-साथ राष्ट्रमंडल खेल एवं एशियाई खेलों में भी हॉकी शामिल किया जाता है।
खिलाडी और हॉकी खेलने का समय हॉकी का खेल बहुत कम समय में खेला जाता है। यह दो टीमों के बीच खेला जाता है। जिस टीम के खिलाड़ी विपक्षी टीम की नेट में अधिक गोल करता है, वह टीम विजयी मानी जाती है। यह खेल तकरीबन 60 मिनट के लिए खेला जाता है, जो चार भागों में पूर्ण होता है। जिसमें हर 15 मिनट बाद ब्रेक रहता है। इस खेल को खेलने के लिए एक गेंद और एक स्टिक यानी छड़ी का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में मेजर ध्यानचंद ने हॉकी को लोकप्रिय बनाया था। उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है। हॉकी के प्रसिद्ध अन्य खिलाड़ी हैं- धनराज पिल्लै, बलवीर सिंह सीनियर, उद्यम सिंह, मनदीप सिंह इत्यादि।
महत्व-हॉकी क्रिकेट की तरह महँगा और उवाऊ नहीं है। यह किसी भी युवा के द्वारा खेला जा सकता है। यह बहुत ही रुचि और आनंद का खेल है जिसमें बहुत ज्यादा गतिविधियाँ और अनिश्चितता शामिल होती है। यह रफ्तार का खेल है और परिस्थितियाँ बहुत ही शीघ्र बदलती है, जो आश्चर्य पैदा करती है। हॉकी का खेल मनोरंजन के साथ ही अनुशासन का पाठ भी हमें सिखाती है। हॉकी हमें एक जूट होकर खेलना और एक दूसरे के सहयोग का महत्त्व सिखाता है और जीवन में संघर्ष की प्रवृत्ति भी जागृत होती है।
निष्कर्ष भारत हॉकी के खेल का शिक्षा गुरु रहा है। 1928 से 1956 के बीच भारतीय हॉकी टीम ने देश के लिए लगातार छः ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते। यह काल हॉकी का स्वर्ण युग कहा जाता है। ओलम्पिक खेलों में शीर्ष पर रहने वाली भारतीय टीम सतरह के दशक से पिछड़ती चली गई।
विगत कुछ वर्षों से भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन अपेक्षाकृत अच्छा रहा है। भारतीय खिलाड़ियों और सरकार को चाहिए कि इस खेल में रुचि लेकर पुनः भारत को गौरवान्वित करने में पूर्ण सहयोग दें।
2.मेरा परिवार
विचार विन्दु- 1. परिचय, 2. परिवार के स्नेह का महत्त्व, 3. संयुक्त परिवार के लाभ-हानि, 4. छोटा परिवार के लाभ-हानि, 5. निष्कर्ष।
परिचय किसी व्यक्ति के रहने के लिए ‘घर’ सबसे सुरक्षित स्थान होता है, उसी प्रकार हम चनुष्यों के देखभाल, चिन्ता तथा जरूरतों की पूर्ति के लिए एक परिवार का होना अति आवश्यक है। परिवार प्यार का दूसरा नाम है और 45 हमारी व्यक्तिगत पहचान है। परिवार ईश्वर की देन है और खुशहाल परिवार हमारे लिए भाग्य की बात है।
मेरा परिवार एक आदर्श और खुशहाल परिवार है। मेरे परिवार में दादा-दादी, माँ-पिताजी, एक बहन और एक भाई है।
परिवार के स्नेह का महत्त्व व्यक्ति के आवश्यकताओं की पूर्ति परिवार बिना किसी स्वार्थ के करता है। इसलिए हम सब के जीवन में परिवार का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। परिवार के मध्य बड़े हो रहे बच्चों को स्नेह पूर्वक देखभाल करना परिवार का दायित्व होता है। बच्चा भविष्य में क्या बनेगा यह पूर्ण रूप से बच्चे के परिवार पर निर्भर करता है। सही मार्ग दर्शन के मदद से पढ़ाई में कमजोर बच्चा भी भविष्य में सफलता के नये आयाम को चुनता है, इसके विपरीत मेधावी छात्र गलत मार्ग दर्शन के वजह से अपना लक्ष्य भूल जाता है तथा जीवन के दौड़ में कही पीछे छूट जाता है। इस प्रकार पारिवारिक स्नेह बच्चे को बाहरी बुराइयों तथा खतरा से सुरक्षा प्रदान करता है।
संयुक्त परिवार के लाभ हानि- संयुक्त परिवार जिसमें हमारे बड़े-बुजुर्ग (दादा-दादी, चाचा-चाची) हमारे साथ रहते हैं, जो ज्ञान और अनुभव की कुंजी होते हैं। संयुक्त परिवार में माता-पिता के घर में न रहने पर बच्चे दादा-दादी या अन्य बड़ों के निगरानी में रहते हैं। जिससे वह अकेला नहीं महसूस करते हैं। साथ ही बच्चों को घर में ही खेलने योग्य वातावरण मिल जाता है।
संयुक्त परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक होने के वजह से आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती। लोगों में आपसी मतभेद की संभावनाएँ बढ़ जाती है।
छोटा परिवार के लाभ-हानि- भारत में सामान्यतः संयुक्त परिवार प्रथा का ज्यादा प्रचलन रहा है। बदलते परिवेश में संयुक्त परिवारों का स्थान एकल या छोटे परिवार लेते जा रहे हैं। छोटा परिवार में सदस्यों की संख्या कम होने के कारण पारिवारिक खर्च कम होते हैं जिससे आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। पारिवारिक लड़ाई-झगड़े कम होते हैं। माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश पर अधिक ध्यान देते हैं, जिससे पालन-पोषण सही प्रकार से हो पाता है।
छोटा परिवार में बच्चे बड़े-बुजुर्ग के ज्ञान और अनुभव से वंचित रह जाते हैं। कामकाजी माता-पिता के बच्चे को पारिवारिक संरक्षण नहीं मिल पाता जिससे बच्चे अनुशासनहीन हो जाते हैं, कभी-कभी गलत संगति में पड़ जाते हैं।
निष्कर्ष व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास परिवार की ही देन है। अपना परिवार व्यक्ति के लिए अपना संसार होता है। उससे वह संस्कार, अनुशासन, स्वच्छता, संस्कृति तथा परम्परा व इसी प्रकार के अनेक आचरण सीखता है।
3.कोरोना : एक महामारी
विचार बिन्दु- 1. भूमिका, 2. कोरोना वाबरस क्या है?, 3. लक्षण, 4.
भूमिका-दुनिया सदी की सबसे गंभीर बीमारी कोविड-19 के कहर से जूझ रही है। यह एक संक्रामक बीमारी है जिसके वैश्विक फैलाव के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक महामारी घोषित किया है। इसकी शुरुआत दिसम्बर 19 में चीन के वुहान शहर से हुई थी जो विश्व के करीब दौ सौ देशों में फैल चुका है। भारत में इस बीमारी से अब तक 2.8 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जिसमें करीब 3 लाख से अधिक लोगों की जान चली गई।
इस बीमारी का संक्रमण कोरोना नामक वायरस से हो रहा है। इसलिए इसे Covid-19 Corona Virus Disease-2019 नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों द्वारा इस पर लगातार शोध जारी है। वर्तमान में कोरोना वायरस की दूसरी लहर तांडव मचा रही है। हर दिन रिकॉर्ड संख्या में नए मामले सामने आ रहे हैं।
कोरोना बाबरस क्या है? कोरोना वायरस एक अदृश्य वायरस है। यह बहुत
सूक्ष्म लेकिन प्रभावी वायरस है। यह कई प्रकार के विषाणुओं (वायरस) का समूह है जो स्तनधारियों और पक्षियों में रोग उत्पन्न करता है। डब्लू एच ओ ने इसका नाम सार्स-कोव 2 (SARS-Cov-2) रखा है। यह गोलाकार कणों के रूप में होता है। इस विषाणु में एकल आर० एन० ए० युक्त जीनोम पाया जाता है।
लक्षण- सामान्यतः इस बीमारी से संक्रमित लोगों में बुखार, सुखी खाँसी, थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। बहुत सारे मामलों में सिर दर्द, गले में खराश, दस्त, आँख आना जैसे लक्षण भी सामने आयी हैं।बचाव इस बीमारी के संक्रमण से बचाव के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ जरूरी सुझाव दिये हैं
अधिक से अधिक संख्या में टीकाकरण कराना एवं लोगों को प्रेरित करना कम से कम 20 सेकेण्ड तक हाथ धोएँ, इसके लिए साबुन और पानी या एल्कोहल वाल हैंड-टब का इस्तेमाल करें।
एक दूसरे से कम से कम एक मीटर की सामाजिक दूरी बनाए रखें।
अपनी आँखें, नाक या मुँह को बार-बार न छुएँ।
खांसने या छींकने पर अपनी नाक और मुँह को कोहनी या टिशु पेपर से ढंक लें।
* भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें या मुँह नाक को ढक कर रखें।
निष्कर्ष एक साल बाद फिर से पूरी दुनिया में कोरोना वायरस लगातार फैलता जा रहा है। 22 मार्च, 2020 को जनता कर्पयू लगाया गया था। उसके बाद 25 मार्च से 3 जून 2020 तक कुल 75 दिनों का लॉकडाउन किया गया था। आज फिर वही स्थिति बनती दिख रही है। भारत के कई क्षेत्रों में दोबारा नाइट कर्पयू लगाया गया है तो कई क्षेत्रों में पूर्ण लॉकडाउन लगाना पड़ा है। शिक्षण संस्थान मार्च 2020 से बंद पड़े हैं। सभी तरह की आर्थिक गतिविधियाँ सुस्त पड़ गई है। इस बीच कोरोना की तीसरी लहर की आशंका भी की जा रही है।
राहत की बात है कि इस वायरस की दूसरी लहर की गति मंद पड़ती दिख रही है। देशभर में टीकाकरण अभियान चलाये जा रहे हैं। अभी तक करीब 121 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है।
वर्तमान में इस बीमारी से बचाव के लिए टीकाकरण, सामाजिक दूरी का पालन
एवं मास्क का उपयोग आवश्यक है।
दवाई भी कड़ाई भी।
बिहार बोर्ड Social Scince महत्वपूर्ण प्रश्न उतर देखें।
मिलकर संग, कोरोना से जीतेंगे जंग।