1.जवाहर लाल नेहरू
विचार बिन्दु- 1. भूमिका, 2. जवाहर लाल नेहरू कौन थे? उनकी जीवन पर प्रकाश डालें, 3. उन्होंने देश के लिए क्या किया?, 4. उपसंहार।
भूमिका-यह देश आधुनिक भारत के जिन महानायकों का नाम आदर के साथ लेता है, उनमें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू का नाम सर्वाधिक उल्लेखनीय है। उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है। उन्होंने भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभायी। देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में वे भारत को शक्ति सम्मन्न एवं धर्मनिरपेक्ष राज्य का दर्जा देने के लिए
कृत् संकल्प रहे। उनकी प्रशासनिक प्रतिभा के बल पर ही भारत दुनिया के सामने स्वाभिमान के साथ उठ खड़ा हुआ। हम उन्हें सादर नमन करते हैं।
जवाहर लाल नेहरू कौन थे? उनकी जीवन पर प्रकाश डालें- पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। वे पंडित मोती लाल नेहरू के सुपुत्र थे। इनका जन्म 14 नवम्बर, 1884 ई० को इलाहाबाद के ‘आनन्द भवन’ में हुआ था। उनके पिता प्रख्यात वैरिस्टर थे। उनका लालन-पालन अमीर शहजादे की तरह हुआ था। वे पढ़ने के लिए इंगलैण्ड गये, जहाँ उन्होंने वकालत की शिक्षा ली। पंडित नेहरू एक सफल प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं।
उन्होंने देश के लिए क्या किया?- देश के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू
की देन अविस्मरणीय है। उनके सामने देश की बहुत सारी चुनौतियाँ थी। लम्बी गुलामी के कारण भारत आर्थिक दृष्टि से खोखला हो चुका था। भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी की समस्या देश के सामने विकराल रूप में खड़ी थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बड़े-बड़े उद्द्योगों की स्थापना की। देश को अशिक्षा से मुक्त करने के लिए कई शैक्षणिक आयोगों का गठन किया। देश के चतुर्दिक विकास के लिए पंचवर्षीय योजना लागू की गयी। पंडित नेहरू एक सफल कूटनीतिज्ञ के साथ-साथ लोकप्रिय लेखक भी थे। विज्ञान और साहित्य उनका प्रिय विषय था। उनकी चिर-स्मरणीय सेवाएँ सदा याद की जाएँगी।
उपसंहार-पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के अग्रणी नवनिर्माता थे। उनमें वैज्ञानिक समक्ष एवं सूक्ष्म दूरदृष्टि थे। निस्संदेह, आधुनिक भारत पंडित नेहरू के आदशों पर चल रहा है। उनकी राष्ट्रीयता, समाजसेवा और देशभक्ति वंदनीय है।
2.मेरे प्रिय शिक्षक
बिचार बिन्दु- 1. भूमिका, 2. शिक्षक का परिचय, 3. सर्वप्रियता का आधार, 4. उपसंहार।
भूमिका शिक्षक परमेश्वर के समान होते हैं। कबीर कहते हैं-
यह तन विष की बल्लरी, गुरु अमृत की खान।दिये शीश जो गुरु मिलै, ती भी सस्ता जान।।”जिस देश में गुरु को परमेश्वर कहा जाता है, उस देश में गुरु से बड़ा कोई दूसरा आदर्श नहीं हो सकता। वे राजा से अधिक पूजनीय और विजेता से अधिक प्रभावशाली होते हैं। शिक्षक हमारे भाग्य-निर्माता, माता-पिता और पर्थ प्रदर्शक होते हैं। आदर्श शिक्षक सौभाग्य से मिलते हैं। वे हमें कुमार्ग से निकाल कर सन्मार्ग को ओर अग्रसर करते हैं।
शिक्षक का परिचय- हमारे आदरणीय शिक्षक का नाम शिवेश रंजन जी है। वे पटना सेंट्रल स्कूल में हिंदी पढ़ाते हैं। बच्चे उनसे काफी खुश रहते हैं। व्याकरण जैसे जटिल विषय को वे बच्चों के बीच सरस और सरल ढंग से पढ़ाते हैं। उनकी वाणी मीठी एवं पांडित्यपूर्ण होती हैं। वे जब कक्षा में आते हैं, बच्चे चहक उठते हैं, उनके मुरझाये चेहरे मुदित हो उठते हैं। उनका पढ़ाना खेल के समान सरस एवं सर्वप्रिय होता है। वे न तो किसी बच्चे को डाँटते हैं और न कभी मारते हैं।
सर्वप्रियता का आधार वैसे तो पटना सेंट्रल स्कूल में 100 से भी अधिक
शिक्षक हैं, परंतु श्री शिवेश रंजन काफी लोकप्रिय हैं। उनकी सर्वप्रियता का आधार उनका मृदुल स्वभाव, हँसमुख चेहरा, विषय की गहराई और पढ़ाने का जादूई अंदाज है। श्री शिवेश रंजन चरित्रवान्, व्यवहार कुशल एवं संयमित जीवन में विश्वास • रखने वाले शिक्षक हैं। वे किसी काम को बोझ समझकर नहीं, बल्कि कर्तव्य समझकर निर्वहन करते हैं। स्कूल के प्रधानाचार्य भी उनके शालीन व्यवहार कीतारीफ करते हैं। जहाँ अन्य शिक्षक बच्चों से कठोरतापूर्वक व्यवहार करते हैं, वहाँ श्री शिवेश रंजन उनसे पुत्रवत् व्यवहार करते हैं। ये अपने आवास पर मेधावी किंतु गरीब बच्चों को निःशुल्क पढ़ाते हैं। उनकी इस सेवा भावना से अभिभावक भी काफी प्रभावित होते हैं।
उपसंहार समाज में शिक्षक का स्थान काफी ऊँचा होता है। शिक्षण कार्य पवित्र कार्य माना जाता है। जीवन में अच्छे शिक्षक सौभाग्य से मिलते हैं। आदर्श शिक्षक समाज के गौरव होते हैं। वे राष्ट्र के निर्माता और संस्कृति संस्कार के रक्षक होते हैं। हमें सौभाग्य है कि हम आदर्श गुरु परंपरा वाले देश में पैदा हुए हैं।
3. वैज्ञानिक आविष्कार का सामाजिक सदुपयोग ।
विचार बिन्दु- 1. वैज्ञानिक आविष्कार का परिचय, ३. इसकी उवापकता, 3. इसकी उपयोगिता, 4. हानि, 5. उपसंहार।
वैज्ञानिक आविष्कार का परिचय आवश्यकता आविष्कार की जननी है। वैज्ञानिक आविष्कार का संबंध सामाजिक सरोकार से हैं। औद्योगिक क्रांति के बाद विज्ञान के क्षेत्र में बड़े-बड़े आविष्कार हुए। वैज्ञानिक आविष्कार से सामाजिक जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। इंजन, टेलीफोन, टेपरिकॉर्डर, दूरदर्शन, फ्रिज, पंखा, कंप्यूटर, इंटरनेट और न जाने अन्य कितने आविष्कारों ने हमारी दुनिया बदल दी है। विज्ञान के आविष्कार भले के लिए होने चाहिए, बुरे कार्यों के लिए नहीं।
इसकी आवश्यकता आज हमारी आवश्यकतायें बढ़ गयी हैं। उनकी पूर्ति के लिए वैज्ञानिक आविष्कार की जरूरत पड़ी। आकाश में उड़ने के लिए हेलिकॉप्टर, पानी में चलने के लिए बड़े-बड़े जल जहाज, मित्रों से बात करने के लिए मोबाइल और ठंडी चीज खाने के लिए फ्रिज और मनोरंजन के लिए टेलीविजन और इंटरनेट। ये सारे आविष्कार मानव जाति को सुख-शांति, प्रेम और विकास के लिए किये गये हैं। ये वक्त की जरूरत है और हमारी आवश्यकता है।
इसकी उपयोगिता वैज्ञानिक आविष्कार मानव की विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किये गये हैं। जीवन के हरपल में इनकी उपयोगिता है। अगर बीमार हैं, तो दवा की जरूरत है, अगर लाचार है तो वैशाखी की जरूरत है अगर पर्वत तोड़ना है तो डायनामाइट की जरूरत है और मकान फोड़ना है तो बुलडोजर की जरूरत है। हमारी निजी उपयोगिता ही आविष्कार की जननी है। इसका सामाजिक समरसता, शांति और सुख के लिए उपयोग होना चाहिए।
हानि-विज्ञान विकास भी लाता है और विनाश भी। अगर वैज्ञानिक आविष्कारों का सही उपयोग नहीं किया गया तो उसका दुष्परिणाम भी निकलता है। जिस डायनामाइट से आप पहाड़ को तोड़कर सड़क बना सकते हैं, उसी डायनामाइट के द्वारा किसी के शांति महल को तोड़कर बर्बाद भी कर सकते हैं। परमाणु विस्फोट से आप शांति और सुरक्षा भी प्रदान कर सकते हैं और उससे बर्बादी और तबाही भी मचा सकते हैं। अतः वैज्ञानिक आविष्कारों का प्रयोग शांति, सुरक्षा और मानवकल्याण के लिए होना चाहिए।
उपसंहार-वैज्ञानिक आविष्कार जीवन के खुशहाली के साधन है, उसके बर्बादी के हथियार नहीं। हमें विज्ञान का प्रयोग सामाजिक सरोकार को बढ़ावा देने के लिए करना चाहिए। उससे विनाश और सामाजिक कटुता पैदा करना, मानव हित में नहीं है। वैज्ञानिक आविष्कार सुख-शांति, समृद्धि के साधन हैं।