बिहार बोर्ड 10th और 12th महत्वपूर्ण प्रश्न उतर
10th Exam 12th Exam Bihar Board Exam Matric Exam

बिहार बोर्ड 10th और 12th महत्वपूर्ण प्रश्न उतर

1. राष्ट्रभाषा
1. आरंभ, 2. पक्ष में तथ्य, 3. आवश्यकता

आरंभ-राष्ट्रभाषा का अर्थ है राष्ट्र की भाषा (Language of the Nation) अर्थात् ऐसी भाषा जिसका प्रयोग देश की हर भाषा के लोग आसानी से कर सके, बोल सके और लिख सके।

राष्ट्रभाषा का क्षेत्र विस्तृत और देशव्यापी होता है जो समूचे राष्ट्र के अधिकांश जन सामान्य द्वारा प्रयुक्त होती है। भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है लेकिन उसकी अपनी एक राष्ट्रभाषा है- हिन्दी। यह विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषाओं में एक है।

भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितम्बर, 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि राष्ट्रभाषा के रूप में तो हिन्दी पहले से ही प्रतिष्ठित है, अब इसे वैधानिक रूप से राजभाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए।

पक्ष में तथ्य किसी देश की राष्ट्रभाषा उस देश की बहुसंख्य लोगों की भाषा को माना जाता है। जब कोई भाषा अपने महत्त्व के कारण राष्ट्र के विस्तृत भूभाग में जनता द्वारा अपना ली जाती है तो वह स्वतः राष्ट्रभाषा का पद प्राप्त कर लेती है। हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है, क्योंकि वह उपर्युक्त कसौटी पर खरी उतरती है।

गाँधी जो ने कहा था “अगर हिन्दुस्तान को सचमुच आगे बढ़ना है तो चाहे कोई माने या न माने राष्ट्रभाषा तो हिन्दी ही बन सकती है क्योंकि जो स्थान हिन्दी को प्राप्त है वह किसी और भाषा को नहीं मिल सकता।”

राजा राममोहन राय ने कहा था कि “देश की एकता के लिए हिन्दी अनिवार्य है। 1857 के विद्रोह में राष्ट्रीय चेतना को जगाने में राष्ट्रभाषा हिन्दी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।

आवश्यकता-जिस प्रकार किसी राष्ट्र की संप्रभुता एवं स्वभिमान का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्र चिह्न होता है ठीक उसी प्रकार राष्ट्र की संस्कृति एवं भाषा भी उसके आत्म-गौरव और अस्मिता का प्रतीक होती है।

आज अंग्रेजी ने हिन्दी का ही नहीं अपितु समस्त प्रादेशिक भाषाओं का अधिकार छीन रखा है। इसलिए आवश्यकता है कि समस्त भारतवासी राष्ट्रीय स्वाभिमान की दृष्टि से विचार करने की ताकि सारा देश एकता के सूत्र में बंध कर अपने पुराने गौरव को पुनः प्राप्त कर सके।

उपसंहार-हिन्दी भाषा अखंड भारत की एकता के आदर्श का मुख्य प्रतीक है। एक राष्ट्र में एक राष्ट्रभाषा हमारे गौरव और हमारी राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का प्रतीक है। अंग्रेजी परस्त लोग भले ही हिन्दी का विरोध करते हैं, किन्तु यह ध्रुव सत्य है कि हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है और एक दिन अन्तरप्रांतीय भाषा के रूप में एक सम्यक भाषा बनकर अंग्रेजी के वर्चस्व को समाप्त कर देगी।

निज भाषा उन्नति ही सब उन्नति को मूल।

बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय की सूल।।

2. हमारा विद्यालय- 1. प्रारंभ, 2. शिक्षण व्यवस्था, 3. पाठ्यक्रमेत्तर कार्य, 4. उपसंहार।

प्राचीनकाल से ही विद्यालय को ज्ञान का मंदिर कहा जाता है। वर्तमान में विप्राचीनकाल के गरुकलों से बहुत अलग है किन्तु आज भी विद्यालयको मंदिर और अध्यापक को भगवान का दर्जा दिया जाता है। यहाँ छात्र अपने अध्यापक से शिक्षा पाकर अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करते हैं।

हमारे विद्यालय का नाम हरिवंश नारायण उच्च माध्यमिक विद्यालय है। ठीक 9.30 बजे चेतना सत्र के साथ हमारा विद्यालय प्रारंभ होता है। इसमें विद्यालय के सारे शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहते हैं। सभी विद्यार्थी वर्ग-वार कतारवद्ध खड़े हो जाते हैं। चेतना सत्र प्रार्थना के साथ शुरू होता है, इसके बाद समाचार-वाचन फिर राष्ट्रगान होता है।

शिक्षण व्यवस्था हमारे विद्यालय में लगभग छः सौ विद्यार्थी तथा बीस अध्यापक है। सभी शिक्षक योग्य और अनुशासन प्रिय है। हमारे प्रधानाध्यापक कुशल प्रबंधक है। सारे शिक्षक उनके नेतृत्व में काम करना अपना गौरव समझते हैं। हमारे विद्यालय में नौवीं, से बारहवीं तक की पढ़ाई होती है। यहाँ पढ़ाई की उत्तम व्यवस्था है। इस विद्यालय के अधिकांश छात्र मैट्रिक एवं इंटर की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होते हैं।

हमारे विद्यालय में एक अच्छा पुस्तकालय है, जिसमें सभी विषयों की पुस्तके हैं। जिसमें दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाएँ आती है। विद्यालय में एक बडा क्रीडाक्षेत्र भी है, जिसमें छात्र विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं।

पाठ्यक्रमेत्तर कार्य-हमारे विद्यालय में अध्ययन और खेल के अलावे कई प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती है। प्रत्येक शनिवार को बाल सभा होती है। कक्षावार बच्चे विद्यालय परिसर के साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखते हैं।

हमारे शिक्षकों द्वारा वाद-विवाद प्रतियोगिता, क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। जिसमें बच्चे उत्साह के साथ भाग लेते हैं। इनके साथ ही सभी महापुरुषों के जन्म जयन्ती कार्यक्रम को बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।

विद्यालय के सामूहिक उत्सवों के द्वारा छात्रों में सहयोग, सहानुभूति, एकता और अपनत्व की भावनाओं का उदय होता है। छात्रों में संगठन शक्ति जागृत होती है’ और अपने विचारों को दूसरे के सामने प्रकट करने की क्षमता आती है।

उपसंहार विद्यालय और शिक्षा का एक व्यक्ति के जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक है कि बच्चों का सर्वांगीन विकास हो और इसके लिए हमारा विद्यालय एक उपयुक्त जगत है।

3.गणतंत्र दिवस
भूमिका प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाने वाला गणतंत्र दिव्य भारत का एक महान राष्ट्रीय पर्व है।

इसे पूरे भारतवासी पूरे उत्पाद जोशी साथ मनाते हैं। यह किसी विशेष धर्म, जाति या सम्प्रदाय में न जुदकर राष्ट्रीयता से जुड़ा है, इसलिए देश का प्रत्येक भारतवासी गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय पर्व है। रूप में मनाता है। यह यह दिन है जब भारत में गणतंत्र और संविधान की स्थापना हुई थी।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम की स्मृति ताजी हो जाती है। हमें यह याद हो जाता है कि किस तरह आजादी के दिवाने देशभक्तों के जीवन भर के संघर्षों के परिणाम स्वरूप 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश आजाद हुआ और 26 जनवरी, 1950 को एक धर्मनिरपेक्ष, लोककल्याणकारी, सार्वभौमिक गणराज्य के रूप में उदय हुआ।

इतिहास आजादी के पश्चात डॉ० भीमराव अम्बेदकर ने पहली बार संविधान की रूप रेखा संविधान सभा के समक्ष प्रस्तुत किया। कुछ संशोधनों के उपरांत नवंबर 1949 में इसे स्वीकार कर लिया। संविधान सभा के सभी सदस्य चाहते थे कि इसे ऐसे दिन पारित किया जाए जो देश के गौरव से जुड़ा हुआ दिन हो। तब सबकी सहमति से निर्णय लिया गया कि पूर्ण स्वराज दिवस (26 जनवरी) के दिन भारत का संविधान लागू किया जाए। इसलिए, हमारी संसद ने 26 जनवरी, 1950 को पारित किया। इसके साथ ही भारत लोकतांत्रिक गणराज्य बना। तभी से 26 जनवरी को पूरे हर्षोल्लास के साथ भारतवासियों द्वारा गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

महत्त्व हमारे संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को समान रूप से राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक अधिकार दिये हैं। गणतंत्र दिवस का पर्व हमारे अंदर आत्मगौरव भरने तथा पूर्ण स्वतंत्रता की अनुभूति कराता है।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के लाल किला पर झंडारोहण किया जाता है। राष्ट्रगान के बाद राजपथ पर भारतीय सेना द्वारा भव्य परेड का आयोजन होता है। भारत में आजादी के बाद ‘विविधता में एकता’ के अस्तित्व को दिखाने के लिए राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर झाँकियों का प्रदर्शन किया जाता है। इसके माध्यम से देश अपनी संस्कृति परम्परा और प्रगति को प्रदर्शितकरते हैं।

उपसंहार- गणतंत्र दिवस प्रत्येक भारतवासी के लिए महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व है। यह पर्व कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक गाँव-गाँव में, शहर-शहर में, घर-घर में उत्साह के साथ मनाया जाता है। देश के सारे स्कूलों, कॉलेजों, राजकीय संस्थानों से लेकर गाँव के चौपालों तक दिन भर उत्सव चलता रहता है। ‘वन्दे मातरम’ की सुमधुर ध्वनि सर्वत्र गूँजती रहती है। वास्तव में यह शुभ दिन भारत के लिए गौरवमय दिन है।

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बिहार बोर्ड Matric Exam 10th solved science Question 

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