बिहार बोर्ड 10th हिंदी महत्वपूर्ण प्रश्न उतर देखें।
10th Exam 12th Exam Bihar Board Exam Matric Exam

Bihar Board 10th और 12th महत्वपूर्ण प्रश्न उतर देखें।

1.गरीबी

विचार बिन्दु – 1. भूमिका, 2. गरीबी के कारण, 3. गरीबी उन्मूलन के उपाय, 4. निष्कर्ष।

भूमिका इतिहास की प्रायः सभी अवस्थाओं में मनुष्यों के बीच आर्थिक

भूमिका इतिहास की प्रायः सभी अवस्थाओं में मनुष्यों के बीच आर्थिक असमानताएँ विद्यमान रही है। कुछ लोग धन-दौलत तथा भौतिक सुख-सुविधाओं से सम्पन्न रहे हैं तो कई लोग अभावों में जीवन व्यतीत करते आए हैं।

गरीबी एक ऐसी मानवीय स्थिति है जिसमें समाज का एक वर्ग अपने जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ रहता है। जैसे भोजन कपड़ा, मकान, शिक्षा और उचित चिकित्सा इत्यादि। किसी भी व्यक्ति या इंसान के लिए गरीबी अत्यधिक निर्धन होने की स्थिति है जो व्यक्ति और उसके सामाजिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित करता है।

गरीबी के कारण गरीबी के लिए अनेक कारण और परिस्थितियाँ जिम्मेवार है। इनमें मुख्य रूप से बढ़ती जनसंख्या, बेरोजगारी, कमजोर कृषि, भ्रष्टाचार, पुरानी प्रथाएँ, अशिक्षा, प्राकृतिक आपदा आदि जिम्मेवार है।

भारत में तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या ने बेरोजगारी को समस्या को भयावह बना दिया है। निम्न पूँजी निर्माण के कारण यहाँ का औद्योगिक विकास भो धीमा है जिसका सीधा प्रभाव गरीबी पर पड़ रहा है। साथ ही विकास प्रशासन की विफलता ने भी गरीबी की समस्या को विद्यमान बनाये रखा है।

गरीबी उन्मूलन के उपाय गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार के प्रभावो नीति के साथ-साथ जनता के समन्वित प्रयास की आवश्यकता है। इसके लिए जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ अधिक से अधिक स्वरोजगार सृजन की आवश्यकता है। शिक्षा सभी रोगों की एक दवा है। इससे बेरोजगारी दूर किया जा सकता है। कृषि विकास और औद्योगिक विकास की गति को बढ़ाना होगा। इसके साथ ही सरकार को दृढ़ इच्छाशक्ति से प्रभावी नीति बनाकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना होगा।

निष्कर्ष गरीबी अर्थात् निर्धनता एक गंभीर सामाजिक एवं आर्थिक समस्या है, को जीवन में निराशा, दुख और दर्द लाती है। यह एक ऐसी समस्या है जो किसी भी देश के प्रगति के लिए बाधक है। इसलिए सरकार को प्रभावों नौति बनाकर दृढ़ इच्छाशक्ति से इसे मिटाने का प्रयास करना चाहिए।

2.सचार

कातिविचार बिन्द । भूमिका 2. संचार क्राति का स्वरूप 1 संचार काति से हानि 4. संचार क्रांति से लाभ निष्कर्ष

संचार क्राति का स्वरूप प्राचीन काल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने के लिए दूत भेजे जाते थे, जिसमें महीनों लग जाते थे परंतु आज स्थिति पूर्णतः बदल चुकी है। सूचना क्राति ने सूचना प्रवाह का स्वरूप चदाल दिया है। मोबाइल द्वारा घर बैठे-बैठे सैकड़ों मील दूर की सूचनाओं का उदान-प्रदात श्रव्य एवं दृश्य रूप में किया जा सकता है। संचार क्रांति के कारण ही हम घर बैठे किसी कोने का समाचार या खेल का सीधा प्रसारण देख पाते हैं।

संचार क्रांति से हानि अनेक सकारात्मक पहलू के साथ संचार क्राति अनेक कुप्रथा भी सौप रहा है। आधुनिकता के नाम पर पश्चिमीकरण एवं अश्लीलता में वृद्धि हो रही है। सामाजिक नैतिकता का ह्रास हो रहा है। इससे भौतिकतावाद को बढ़ावा मिल रहा है। यह संस्कृति प्रदूषण को प्रसारित कर रहा है। संचार क्रांति के कारण नये-नये अपराध भी सामने आ रहे हैं।

संचार क्राति से लाभ संचार क्रांति के तहत कम समय में कम कीमत पर सूचना का आदान-प्रदान संभव हुआ है। संचार क्रांति एक और तकनीक विकास को बढ़ावा दिया है, तो दूसरी ओर रोजगार के अवसर भी पैदा किया है। संचार क्रांति आर्थिक गतिविधियों को वर्तमान समय में आधार प्रदान कर रहा है। वैश्वीकरण के दौर में जहाँ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था वैश्वीकरण में विलीन हो रही है। वही संचार क्रांति इस प्रक्रिया को और तेज बना रही है। यह शिक्षा, चिकित्सा, राजनीति एवं मनोरंजन के क्षेत्र में अहम योगदान दे रहा है।

निष्कर्ष-संचार क्रांति इस सदी की एक महत्त्वपूर्ण घटना है। इस क्षेत्र की उपलब्धि इंसान के जिन्दगी को बढ़ने का काम कर रही है। यदि संचार के साधनों को हम अपने जीवन से निकाल दे तो फिर से आदिकाल में पहुंच जायेंगे। इसके बिना जीवन अधूरा है।

भबिका सामान्यतः संचार का अर्थ है अपनी भावनाओं आवेगों को दूसरों तक सम्प्रेषित करना। आधुनिक युग में सूचना प्रोद्योगिकी से हुए अभूतपूर्व प्रगति ने संसार को अत्यंत सहज और तीव्र बना दिया है। इस क्षेत्र में निरंतर जो प्रगति हो रही है, वह संचार क्रांति का रूप ले लिया है। यह संचार क्रांति का ही परिणाम है कि विश्व के किसी भी कोने में घटित घटना क्षण भर में संपूर्ण दुनिया में फैल जाती है।

3.भ्रमण का महत्त्व

विचार विन्दु- 1. भूमिका, 2. भ्रमण का महत्त्व. 3. भ्रमण का शैक्षिकह त्त्व, 4. निष्कर्ष। नार्थिक वधाओं

निका जीवन का असली आनन्द घुमक्कड़ी में है, मस्ती और मौज में है। प्रकृति के सौन्दर्य का आनन्द अपनी आँखों से उसकी गोद में बैठकर लिया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है-भ्रमण।

भ्रमण का अर्थ है-घूमना, पर्यटन या देशाटन। ऐसे भ्रमण में मुख ही सुख है। ऐसा भ्रमण दैनंदिन जीवन की भारी भरकम चिंताओं से दूर होता है। जो व्यक्ति इस दशा में जितनी देर रहता है, उतनी देर तक वह आनंदमय जीवन जीता है।

घषण का महत्वभ्रमण का देशाटन मानव की स्वाभाविक प्रवृत्ति है।

देश-विदेश भ्रमण की प्रवृत्ति मानव जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। भारत में देशाटन की परम्परा अति प्राचीन है। पहले लोग पैदल चलकर या समुद्र मार्ग से लंबी-लंबी दूरियाँ तयकर अपने भ्रमण के शौक को पूरा करते थे। वैदिक कृषि यद्यपि एकान्त चितन एकान्तवास जीवन को प्रमुखता देते थे तथापि देश भ्रमण की प्रथा उनमें व्याप्त थी।

अशिक्षा, निर्धनता, रूढ़िवादिता ने देशवासियों को सदैव भ्रमण से विमुख बनाए रखा है। स्वतंत्र भारत में इस प्रवृत्ति को प्रोत्साहन देने के लिए पर्यटन मंत्रालय को अस्तित्व में लाया गया। इतना ही नहीं इसके महत्त्व को समझते हुए सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा दे दिया है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी देशाटन का महत्त्व कम नहीं है। हजारों व्यक्ति भारत में ही प्रतिदिन नैनीताल, अल्मोड़ा, मसूरी, दार्जिलिंग, पंचमढ़ी इत्यादि पर्वतीय क्षेत्रों में जाते-आते हैं। ऐसा करने से उन्हें स्वास्थ्य लाभ भी होता है। राष्ट्रीय एकता को दृढ़ता के लिए देशाटन या पर्यटन का भ्रमण एक आवश्यक शर्त है।

भ्रमण का शैक्षिक महत्त्च भ्रमण शिक्षा का अंग है। भ्रमण से जो हम सीखते हैं, उसे पुस्तकों से सीखना कठिन होता है। भ्रमण हमारे किताबी ज्ञान में – वृद्धि करता है। भ्रमण के सहारे इतिहास हमें वास्तविकता दिखाता है तथा समूचा भूगोल साकार हो उठता है। इससे अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों की परीक्षा हो जाती है और भ्रमण संसार के व्यवहारिक ज्ञान को प्राप्त करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है।

निष्कर्ष-भ्रमण से हमारा दृष्टिकोण विस्तृत होता है। विविध प्रकार का अनुभव पाकर हम घटनाओं और वस्तुओं को एक नई दिशा से देखना सीख जाते हैं। इससे ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों

के प्रति हमारा सही दृष्टिकोण = विकसित होता है।

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