इंधन (Fuel): वह पदार्थ, जो हवा में जलकर बगैर अनावश्यक उत्पाद के ऊष्मा उत्पन्न करता है, ईंधन कहलाता है।
एक अच्छे ईंधन के निम्नलिखित गुण होने चाहिए। वह सस्ता गे एवं आसानी से उपलब्ध होना चाहिए। 2. उसका ऊष्मीय मान (Calorific value) उच्च होना चाहिए। 3. जलने के बाद उससे अधिक मात्रा में अवशिष्ट पदार्थ नहीं बचना चाहिए। 4. जलने के दौरान या बाद कोई हानिकारक पदार्थ नहीं उत्पन्न होना चाहिए। 5. उसका जमाव, परिवहन आसान होना चाहिए। 6. उसका जलना नियंत्रित होना चाहिए। 7. उसका प्रज्वलन ताप (Ignition temperature) निम्न होना चाहिए।
नोटः जिस न्यूनतम ताप पर कोई पदार्थ जलना शुरू करता है उसे उस पदार्थ या प्रज्वलन या ज्वलन ताप कहते है।
ईंधन का ऊष्मीय मान (Calorific Value of Fuels): किसी ईंधन का ऊष्मीय मान ऊष्मा की वह मात्रा है, जो उस ईंधन के एक ग्राम को वायु या ऑक्सीजन में पूर्णतः जलाने के पश्चात् प्राप्त होती है। किसी भी अच्छे ईंधन का ऊष्मीय मान अधिक होना चाहिए। सभी ईंधनों में हाइड्रोजन का ऊष्मीय मान सबसे अधिक होता है परन्तु सुरक्षित भंडारण की सुविधा नहीं होने के कारण उपयोग आमतौर पर नहीं किया जाता है। हाइड्रोजन का उपयोग रॉकेट ईंधन के रूप में तथा उच्च ताप उत्पन्न करने वाले ज्वालकों में किया जाता है। हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन भी कहा जाता है।
अपस्फोटन (Knocking) व ऑक्टेन संख्या (Octane number) : कुछ ईंधन ऐसे होते हैं जिनका वायु मिश्रण का इंजनों के सिलेण्डर में ज्वलन समय के पहले हो जाता है, जिससे ऊष्मा पूर्णतया कार्य में परिवर्तित न होकर धात्विक ध्वनि उत्पन्न करने में नष्ट हो जाती है। यही धात्विक ध्वनि अपस्फोटन कहलाती है। ऐसे ईंधनं जिनका अपस्फोटन अधिक होता है, उपयोग के लिए उचित नहीं माने जाते हैं। अपस्फोटन कम करने के लिए ऐसे ईंधनों में अपस्फोटरोधी यौगिक मिला दिए जाते हैं जिससे इनका अपस्फोटन कम हो जाता है। सबसे अच्छा अपस्फोटरोधी यौगिक टेट्रा एथिल लेड (TEL) है। अपस्फोटन को ऑक्टेन संख्या के द्वारा व्यक्त किया जाता है। किसी ईंधन, जिसकी ऑक्टेन संख्या जितनी अधिक होती है, का अपस्फोटन उतना ही कम होता है तथा वह उतना ही उत्तम ईंधन माना जाता है।ईंधन का वर्गीकरण भौतिक अवस्था के आधार पर ईंधन को निम्न प्रकार बाँटा गया है-
ईंधनकोयला (Coal) कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला प प्रकार के होते हैं(a) पीट कोचता: इसमें कार्बन की मात्रा 50% से 60% तक होती है। इसे जलाने पर अधिक राख एवं धुआं निकलता है। यह सबसे निम्न कोटि का कोयला है।
(b) लिग्नाइट कोयला कोयला इसमें कार्बन की मात्रा 65% से 70% तक होती है। इसका रंग भूरा (Brown) होता है, इसमें जलवाष्म की मात्रा अधिक होती है।
(c) बिदुमिनस कोयला इसे मुलायम कोयला भी कहा जाता है। इसका उपयोग घरेलू कार्यों में होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 70% से 85% तक होती है।
(d) एन्ग्रासाइट कोपला यह कोयले की सबसे उत्तम कोटि है। इसमें कार्बन की मात्रा 85% से भी अधिक रहती है। इव इंधन (Liquid fuel) पेट्रोल, डीजल, किरासन तेल, अल्कोहल, स्पिरिट सभी द्रव ईंधन के उदाहरण हैं।
गैसीय ईयन (Gaseous fuel):
प्राकृतिक गैस यह पेट्रोलियम कुआँ से निकलती है। इसमें 95% हाइड्रोकार्बन होता है, जिसमें 80% मिथेन रहता है। घरों में प्रयुक्त होने वाली ब्रवित प्राकृतिक गैस को एल. पी. जी. कहते हैं। यह ब्यूटेन एवं प्रोपेन का मिश्रण होता है, जिसे उच्च दाब पर द्रवित कर सिलेण्डरों में भर लिया जाता है।
एल.पी.जी. अत्यधिक ज्वलनशील होती है, अतः इससे होने वाली दुर्घटना से बचने के लिए इसमें सल्फर के यौगिक (मिथाइल मरकॉप्टेन) को मिला देते हैं, ताकि इसके रिसाव को इसकी गंध से पहचान लिया जाय।
नोटः जीवाश्म ईंधनों में स्वच्छतम ईंधन प्राकृतिक गैस ही है।गोबर गैस (Bio-gas) गीले गोबर (पशुओं के मल) के सड़ने पर ज्वलनशील मिथेन गैस बनती है, जो वायु की उपस्थिति में सुगमता से जलती है। गोबर गैस सयंत्र में शेष रहे पदार्थ का उपयोग कार्बनिक खाद के रूप में किया जाता है।
प्रोड्यूसर गैस (Producer gas [CO + N₂J) यह गैस छाल तप्त कोक पर वायु प्रवाहित करके बनायी जाती है। इसमें मुख्यतः कार्बन मोनोक्साइड ईंधन का काम करता है। इसमें 70% नाइट्रोजन, 25% कार्बन मोनोक्साइड एवं 4% कार्बन डाइऑक्साइड रहता है। इसका ऊष्मीय मान (calorific value) 1100-1750 kcal/kg होता है। काँच एवं इस्पात उद्योग में इसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
जड गैस (Water gas [H₂ + CO]) इसमें हाइड्रोजन 49%, कार्बन मोनोक्साइड 45% तथा कार्बन डाइऑक्साइड 4.5% होता है। रक्त तप्त कार्बन पर जलवाष्प प्रवाहित करने पर जल गैस प्राप्त होता है। इसे भाप अंगार गैस भी कहते हैं। इसका ऊष्मीय मान 2500 से 2800 kcal/kg होता है। इसका उपयोग हाइड्रोजन एवं अल्कोहल के निर्माण में अपचायक के रूप में होता है।
कोल गैस (Coal gas) यह कोयले के भंजक आसवन (Destructive distillation) से बनाया जाता है। यह रंगहीन तीक्ष्ण गंध वाली गैस है। यह वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण बनाती है। इसमें 54% हाइड्रोजन, 35% मिथेन, 11% कार्बन मोनोक्साइड, 5% हाइड्रोकार्बन, 3% कार्बन डाइआक्साइड होता है।
ईंधन का ऊष्मीय मान उसकी कोटि का निर्धारण करता है।अल्कोहल को जब पेट्रोल में मिला दिया जाता है, तो उसे पॉवर अल्कोहल
(Power alcohol) कहते हैं, जो ऊर्जा का एक वैकल्पिक स्रोत है।सिगरेट लाइटर में ब्यूटेन का प्रयोग होता है।
व हाइड्रोजन एवं द्रव ऑक्सीजन का प्रयोग रॉकेट में ईंधन(नोदक) के रूप में किया जा सकता है।प्रति ग्राम ईंधन द्वारा मोचित ऊर्जा की दृष्टि से हाइड्रोजन सर्वोत्तम इधन है।धातुएँ
ऐसे तत्व (हाइड्रोजन के अतिरिक्त) जो इलेक्ट्रॉन को त्याग कर धनायन प्रदान करते हैं, धातु कहलाते हैं। धातुएँ सामान्यतः चमकदार, अधातवर्ध्य तथा तन्य होती है। धातुएँ ऊष्मा एवं विद्युत की सुचालक (good conductors) होती है। चाँदी विद्युत का सर्वश्रेष्ठ सुचालक है। धातुओं में विद्युत चालकता घटते क्रम में होती है-
चाँदी > ताँबा > एल्युमिनियम > टंगस्टन
सीसा की ऊष्मीय एवं विद्युत चालकता सबसे कम होती है। धातुओं के ऑक्साइड की प्रकृति क्षारकीय होती है।
अपवाद : क्रोमियम ऑक्साइड (Cr₂O₃) की प्रकृति अम्लीय होती है।Al, Zn, एवं Pb के ऑक्साइड उभयधर्मी (amphoteric) होते हैं।
धातुएँ प्रायः तनु अम्लों से हाइड्रोजन सबसे हल्की धातु-लीथियम विस्थापित करती है। ताँबा तनु सबसे भारी धातु-ओसमियम हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ सबसे कठोर धातु क्रोमियम अभिक्रिया नहीं करती है।
धातुओं की प्राप्ति :
पृथ्वी की भूपर्पटी धातुओं का मुख्य स्रोत है। भूपर्पटी में मिलने वाले धातुओं में एल्युमिनियम (7%), लोहा (4%) एवं कैल्सियम (3%) का क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान है।
खनिज (Minerals): भूपर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्व या यौगिक को खनिज कहते हैं।
अयस्क (Ores): वे खनिज जिनसे धातुओं को सुगमतापूर्वक तथा लाभकारी रूप में निष्कर्षित
किया जा सकता है, अयस्क कहलाते