बिहार बोर्ड 10th History महत्वपूर्ण Solved answer 2025
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बिहार बोर्ड 10th History महत्वपूर्ण Solved answer 2025

 

तुगलक वंश: 1320-1398 ई.

5 सितम्बर, 1320 ई. को खुशरों खाँ को पराजित करके गाजी मलिक या तुगलक गाजी गयासुद्दीन तुगलक के नाम से 8 सितम्बर, 1320 ई. को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।

गयासुद्दीन ने अलाउद्दीन के समय में लिए गए अमीरों की भूमि को पुनः लौटा दिया।

मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा क्रियान्वित क्रमशः चार योजनाएँ दोआब क्षेत्र में कर-वृद्धि(1326-1327 ई.)।

2 राजधानी-परिवर्तन(1326-27 ई.)।

3. सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन(1329-30 ई.)।

खुरासन एवं कराचिल का अभियान ।

सने सिंचाई के लिए कुएँ एवं नहरों का निर्माण करवाया। संभवतः नहरों का निर्माण करने वाला गयासुद्दीन प्रथम शासक था।

गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियों पर तुगलकाबाद नाम का एक नया नगर स्थापित किया। रोमन शैली में निर्मित इस नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ। इस दुर्ग को छप्पनकोट के नाम से भी जाना जाता है।

गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु 1325 ई. में बंगाल के अभियान से लौटते समय जूना खाँ द्वारा निर्मित लकड़ी के महल में दबकर हो गयी।

गयासुद्दीन के बाद उलूग खाँ या जूना खाँ मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से 1325 में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।

मध्यकालीन सभी सुल्तानों में मुहम्मद तुगलक सर्वाधिक शिक्षित, विद्वान एवं योग्य व्यक्ति या।

मुहम्मद बिन तुगलक को अपनी सनक भरी योजनाओं, क्रूर कृत्यों एवं दूसरे के सुख-दुख के प्रति उपेक्षा भाव रखने के कारण स्वप्नशील, पागल एवं रक्तपिपासु कहा गया।

मुहम्मद बिन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए ‘अमीर-ए-कोही’ नामक एक नवीन विभाग की स्थापना की।

मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरि में स्थानान्तरित की और इसका नाम दौलताबाद रखा।

मुहम्मद बिन तुगलक अपने प्रत्येक मलिक के सम्मान में दो पोशाक दिया करता था एक जाड़े में और दूसरा गर्मी में।

कहा जाता है कि डाक प्रबन्धों के द्वारा मुहम्मद बिन तुगलक के लिए ताजे फल (खुरासन से) एवं पीने के लिए गंगाजल मंगवाया जाता था।

सांकेतिक मुद्रा के अन्तर्गत मुहम्मद बिन तुगलक ने कौसा (फरिश्ता के अनुसार), ताँबा (बरनी के अनुसार) धातुओं के सिक्के चलवाए, जिनका मूल्य चाँदी के रुपए टंका के बराबर होता था। एडवर्ड थॉमस ने मुहम्मद बिन तुगलक को ‘प्रिंस आफ मनीअर्स’ की संज्ञा दी।अफ्रीकी (मोरक्को) पात्रीभ 1333 ई में भारत आया। सुलतान ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया। 1342 ई में गुल्तान ने इसे अपने राजदूत के रूप में चीन भेजा।

– इनवता की पुस्तक में तुगलक के समय की घटनाओं का वर्णन है। इसने अपनी पुस्तक में विदेशी व्यापारियों के आवागमन, डाक चौकियों की स्थापना यानी डाक व्यवस्था एवं गुपाचा व्यवस्था के बारे में लिखा है। इसने नगाड़ों की भारी ध्ानि के बीच एक गवी को सती होने के दृश्य का वर्णन किया है। इसके कथनानुसार मती होने के लिए गुल्तान से अनुमति लेनी पड़ती थी।

मुहम्मद तुगख्क के समय तियानी पहा व्यक्ति था जिसने संस्कृत कथाओं की एक श्रृंखला का फारसी में अनुवाद किया था। इस पुस्तक का नाम तृती नामा था जिसमें एक तोता एक ऐसी विरहिणी नायिका को कहानी गुनता है, जिसका पति यात्रा पर गया है।

मुहम्मद तुगलक ने जिम प्रभु गुरी नामक जैन साधु को अपने दरबार में बुलाकर सम्मान प्रदान किया था।

मुहम्मद बिन तुगवक की मृत्यु 20 मार्च, 1351 ई को सिन्ध जाते समय यड़ा के निकट गौडाल में हो गयी।

मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दक्षिण में हरिहर एवं बुक्का नामक दी भाइयों ने 1336 में स्वतंत्र राज्य विजयनगर की स्थापना की।

महाराष्ट्र में अलाउद्दीन बहने 1347 ई. में स्वतंत्र बहमनी राज्य की स्थापना की।

मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बदायूँनी लिखता है, “अंततः खोगों को उससे मुक्ति मिती और उसे लोगों से”।

मुहम्मद बिन तुगरूक शेख अलाउद्दीन का शिष्य था। वह सल्तनत का पहला शासक था, जो अजमेर में शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और बहराइच में सालार मसूद गाजी के मकबरे में गया।

मुहम्मद बिन तुगलक ने बदायूँ में मीरन मुख्हीम, दिल्ली में शेख निजामुद्दीन औक्रिया, मुल्तान में शेख रुकनुद्दीन, अजुधन में शेख मुल्तान आदि संतों की कच्च पर मकबरे बनवाए ।

फिरोज तुगष्क का राज्याभिषेक बड़ा के नजदीक 20 मार्च 1351 का हुआ. पुनः फिरोज का राज्याभिषेक दिल्ली में अगस्त, 1351 को हुआ। खत्रीफा द्वारा इरी कासिम अमीर उख भीममीन की उपाधि दी गई।

राजस्य व्यवस्था के अन्तर्गत फिरोज ने अपने शासनकाल में 24 कष्टदायक करों को समाप्त कर केवल पार कर-राज (कमान), खुप्स (युद्ध में छूट का माल), जजिया एवं जकात को वसूल करने का आदेश दिया।

फिरोज तुगलक ब्राह्मणों पर जजिया लागू करने वाला पहना मुसकमान शासक था। फिरोज तुगलक ने एक नया कर सिचाई कर भी लगाया, जो उपज का 1/10 भाग था।

फिरोज तुगलक ने 5 बड़ी नहरों का निर्माण करवाया।

फिरोज तुगलक ने 300 नये नगरों की स्थापना की। इनमें हिसार, फिरोजाबाद (दिल्ली) फतेहाबाद, जौनपुर फिरोजपुर प्रमुख हैं।

इसके शासनकाल में खिजाबाद टोपरा गाँव एवं मेरठ से अशोक के दो स्तम्भों को छाकर दिल्ली में स्थापित किया गया।

सुल्तान फिरोज तुगलक ने अनाय मुस्लिम महिलाओं, विधवाओं एवं वड़‌कियों की सहायता के लिए एक नए विभाग दीवान-ए बैरात की स्थापना की।

सल्तनतकालीन सुल्तानों के शासनकाल में सबसे अधिक दासों की संख्या (करीब 1,80,000) फिरोज तुगलक के समय थी।

दासों की देखभाल के लिए फिरोज ने एक नए विभाग दीवान-ए बगान की स्थापना की। इसने सैन्य पथों को वंशानुगत बना दिया।

इसने अपनी आत्मकथा कहा फिरोजशाही की रचना की।

इसने जियाद्दीन बरनी एवं शष्य एजिराज अफीफ को अपना संरक्षण प्रदान किया।

इसने व्यालमुखी मंदिर के पुस्तकालय से छूटे गए 1.300 ग्रंथों में से कुछ को फारसी में विज्ञान अपाउद्दीन द्वारा दाते-फिरोजशाही नाम से अनुवाद करवाया।

इसने चाँदी एवं लाँच के मिश्रण से निर्मित सिक्के भारी जारी करवाए, जिसे अद्धा एवं विया कहा जाता था। फिरोज तुगलक की मृत्यु सितम्बर, 1388 ई. में हो गयी।

फिरोज काल में निर्मित जान-ए-जहाँ संगानी के मक तुकना नेरुराक्रम में निर्मित उमर के मस्जिद में की जाती > सुल्तान फिरोज तुगलक ने दिल्ली में कोटा फिरोज निर्माण करवाया।

गुगणक वंश का अंतिम शासक नागिरुद्दीन महमूर इसका शासन दिल्ली से पालम तक ही रह गया था।

तैमूरवंग ने सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद तुगलक के समय 13 में दिल्ली पर आक्रमण किया।

मासिरुद्दीन के समय में ही मतिकुशर्शक (पूर्वाधिपति) की धारण कर एक हिजड़ा मलिक सावर ने जौनपुर में एक राज्य की स्थापना की।

सैय्यद वंश 1414 से 1451 ई.

रीव्यद वंश का सम्यापक जिवां था। इसने सुल्तान की न धारण कर अपने को रैयत-ए-आला की उपाधि से ही

विज्ञ छौ तैमूरलग का सेनापति था। भारत से लौटते समय तैमू खिज खाँ को मुस्तान, लाहौर एवं बिपालपुर का शासक नियुक

विज वीं नियमित रूप से तैमूर के पुत्र शाहरुख को कर देगा।

बिज खाँ की मृत्यु 20 मई, 1421 ई. में हो गयी।

खिज खाँ के पुत्र मुबारक खों ने आह की उपाधि बार की।

याहिया बिन अहमद सरहिन्दी को मुबारक शाह का रहा था। इसकी पुस्तक तारीख-ए-मुबारक शाही में सैय्यद विषय में जानकारी मिलती है।

यमुना के किनारे मुबारकाबाद की स्थापना मुबारक शाह ने की। मैय्यद वंश का अंतिम सुल्तान अलाउद्दीन आसम गाह ।

सैव्यद वंश का शासन करीब 37 वर्षों तक रहा।

लोदी वंश: 1451 से 1526 ई.

लोदी वंश का संस्थापक बहलोल लोदी था। वह 19 को ‘बहलोल शाहगाजी’ की उपाधि से दिल्ली के सिंहामन हे

दिल्ली पर प्रथम अफगान राज्य की स्थापना का चेपथ

लोदी को दिया जाता है।

बहलोल लोदी ने बहलोल सिक्के का प्रचलन करवाया।

वह अपने सरदारों को मकसद-ए-अती’ कहकर पुकारता

वह अपने सरदारों के खड़े रहने पर स्वयं भी खड़ा

यहलोल लोदी का पुत्र निजाम खाँ 17 जुलाई, 1489 सिकन्दर शाह’ की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर है 1504 ई. में सिकन्दर लोदी ने आगरा शहर की स्थापना क

• भूमि के लिए मापन के प्रामाणिक पैमाना गजे सिकन्दरी का सं सिकन्दर लोदी ने किया।

गुलरुखी’ शीर्षक से फारसी कविताएँ लिखने वाला सुलान बोदी था।

सिकन्दर लोदी ने आगरा को अपनी नई राजधानी बना आदेश पर संस्कृत के एक आयुर्वेद ग्रंथ का फारसी में के नाम से अनुवाद हुआ। इसने नगरकोट के मूर्ति को तोड़कर उसके टुकड़ों को कसाइयों को मामले दे दिया था। इसने मुसलमानों को ताजिया निकालने एवं

स्त्रियों को पीरों तथा संतों के मजार पर जाने पर प्रतिबंध – गते की बीमारी के कारण सिकन्दर लोदी की 1517 ई. को हो गयी। इसी दिन इसका पुत्र इवारि शाह की उपाधि से आगरा के सिंहासन पर बैठा।

संभवतया दिल्ली के सुल्तानों में सिकन्दर बोदी प्र

जो हिन्दुओं के त्योहारों मुख्यतया होली में भाग मीः। दिल्ली की मोट मस्जिद

बिहार बोर्ड 10th Polity महत्वपूर्ण Solved Question answer 2025।

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