गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. को जामुद्दीन दिनोज की स्थापना की।
इसने किसी को अपनी राजधानी बनाया।
जमीन की हत्या 129% है उसके भतीजा व दामाद लिने कामानिकपुर (प्रयाग) में कर दी।
अमीर खुसरो का मूल नाम मुहम्मद हसन था। उसका जन्म पटियाली (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायूँ के पाल) में 1253 ई. में हुआ प्रसिद्ध सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। यह बतवन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक दिल्ली सुल्तानों के दरबार में रहे। इन्हें तुतिए हिन्द भारत का होता के नाम से भी माना जाता है। सितार एवं कथले के आविष्कार का बंप अमीर खुसरो को ही दिया जाता है।
12 अक्टू 1296 में दिल्ली का सुल्तान बना।
अलाउद्दीन के बचपन का नाम तथा पुरशास्य था।
अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को वाटवेशन देने एवं न्यायी सेना की नींव रखी। दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थायी सेना थी।
घोडा दागने एवं सैनिकों ने की प्रथा की शुरुआत अाउद्दीन खिल्जी ने की।
अलाउद्दीन ने भूराजस्व की दर को बढ़ाकर उपज का 1/2 भागकर दिया।
इसने खाना (कूट का धन) में सुल्तान का हिम्सा 1/4 भाग के स्यान पर 3/4 भाग कर दिया।
इसने व्यापारियों में बेईमानी रोकने के लिए कम तौलने वाले व्यक्ति को शारीर से मांस काट लेने का आदेश दिया। इसने अपने शासनकाल में मूल्य नियंत्रण को दृढ़ता से लागू किया।
दक्षिण भारत की विजय के लिए अलाउद्दीन ने मंत्रिक कारको मेजा।
जपताना मस्जिद दरवाजा, सोरी का किताव हजार वा महाड का निमांग अलाउद्दीन ने करवाया था।
सईदीवान-ए-रियासत यह व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था। यह बाजार-नियंत्रण की पूरी व्यवस्था का संचालन करता था।सलाई दरवाजा कोइतनी प्रत्येक बाजार में बाजार का अधीक्षक।
वात्तुकला का रत्न कहा जाता है। देवी अधिकार के सिद्धान्त को
बरी बाजार के अन्दर घूमकर बाजार का निरीक्षण करता था। निरगुप्त सूचना प्राप्त करता था।अलाउद्दीन ने चलाया था।सकन्दर-ए-सानी की उपाधि से स्वयं को अलाउद्दीन खिलजी नेविभूषित किया।
अलाउद्दीन ने मलिक याकूब को पीवान-ए-सियासत नियुक्त किया था। अलाउद्दीन द्वारा नियुक्त परवाना नवी नामक अधिकारी वस्तुओंकी परमिट जारी करता था।
शहना-ए-मही यहाँ खाद्यान्नों को बिक्री हेतु साया जाता था। सर-ए-अरु यहाँ बन्य शक्कर जड़ी-बूटी, मेवा, दीपक का सेक एवं अन्य निर्मित वस्तुएँ बिकने के लिए आती थी।
असाउद्दीन खिलजी की आर्थिक नीति की व्यापक जानकारी जियाउद्दीन बरनी की कृति फिरोजगारी से मिलती है। रिहाइब्न बता एवं
तीन इसानी की कृति है। मुल्य नियंत्रण को सफल बनाने में स(सर) एवं सरि
(नाम-सी अधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। – राजस्व सुधारों के अन्तत उद्दीन ने सर्वप्रथम मिल्क, इनाम
एवं वक्फ के अन्तर्गत दी गयी भूमि को वापस लेकर उसे भूमि में बदल दिया।
अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा लगाये जानेवाले दो नवीन कर दुधारू पशुओं पर लगाया था. पी कर घरी एवं झोपडी पर लगाया जाता था।
अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में 1297 से 1306 ई. तका मंगोलों के छ आक्रमणप्रथम 1297 ई. में के नेतृत्व में दूसरा आक्रमण 1298 ई. में सदी के नेतृत्व में. तीसरा आक्रमण 1299 ई. के नेतृत्व में, चौया आक्रमण 1303 ई. में हवाली के नेतृत्व में पाँचवा आक्रमण 1305 में अलग और तातांक के नेतृत्व में एवं छठा आक्रमण 1306 ई में कवक एवं इकबालमन्द के नेतृत्व में हुआ।
अलाउद्दीन खिलजी की मून्पु 5 जनवरी, 1316 ई. को हो गयी। कुतुबुद्दीन मुबारक खिल्जी 1316 ई. को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। इसे नीकी संगत पसन्द थी।
मुबारक खिलजी कभी-कभी राजदरबार में स्वियों का वस्त्र पहनकर आ जाता था। बरनी के अनुसार मुबारक कभी-कभी नग्न होकर दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।
मुबारक खाँ ने तीफा की उपाधि धारण की थी।
मुबारक के वजीर खुश खाँ ने 15 अप्रैल 1320 ई. को इसकी हत्या कर दी और स्वयं दिल्ली के सिहासन पर बैठा।
खुशरों खाँ ने पैगम्बर के सेनापति की उपाधि धारण की।
तुगलक वंश 1320-1398.
5 सितम्बर, 1320 ई. को की पराजित करके गाजी दातुगलकयाजी गयासुद्दीन तुगलक
खुशखाँदिन तुक मलिकान्तमः पार योजनाएँ
के नाम से 8 सितम्बर 1320 ई. को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
गयामुद्दीन ने अलाउद्दीन के समय में लिए गए अमीरों की भूमि को 3 पुनः लौटा दिया।
दोआब क्षेत्र में कर-वृद्धि
(1326-13271)1
राजधानी परिवर्तन(1326-27))
सांकेतिक मुझ का प्रचजन (1329-30號)1
इसने सिचाई के लिए कुएँ एवं नहरों का निर्माण करवाया।
खुरासन एव कराचित का
अभियान । यामुद्दीन प्रथम शासक था। संभवतः नहरों का निर्माण करने वाला सवासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियों पर तुगलकाचार नाम का एक नया नगर स्थापित किया। मनौती में निर्मित इस नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ। इस दुर्ग को सपनकोड के नाम से भी जाना जाता है।
गयासुद्दीन तुगरूक की मृत्यु 1325 ई. में बंगाल के अभियान से कीटते समय जूना खाँ द्वारा निर्मित उकड़ी के महल में दबकर गयी।
मयामुद्दीन के बाद उचाना मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से 1325 में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
मध्यकालीन सभी सुल्तानों में मुहम्मद तुगलक सर्वाधिक शिक्षित,
विद्वान एवं योग्य व्यक्ति था।
मुहम्मद बिन तुगलक को अपनी सनक भरी योजनाओं कर कृत्यों एवं दूसरे के मुख-दुख के प्रति उपेक्षा भाव रखने के कारण स्वप्नशीत पात्र एवं मिपा कहा गया।
मुहम्मद बिन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए अधीर-कोही नामक एक नवीन विभाग की स्थापना की।
मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी राजधानी दिल्ली से में स्थानान्तरित की और इसका नाम रखा।
मुहम्मद बिन तुगलक अपने प्रत्येक मत्रिक के सम्मान में वो पोशाक दिया करता था एक जाहे में और दूसरा गभी थे।
कहा जाता है कि चाक प्रबन्धों के द्वारा मुहम्मद बिन तुगलक के लिए सांकेतिक मुद्रा के अन्तर्गत मुहम्मद बिन तुक ने (फ के अनुसार) गोवा (बरनी के अनुसार धातुओं के सिक्के यत्रवार जिनका मूल्य चौदी के रुपए का के बराबर होता था। एडवर्ड त ने मुहम्मद बिन तुगलक को सि आफखिलजी वंश 1290
गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. की जमबुद्दीन फिरोज खिल्जी ने खिलजी वंश की स्थापना की।
इसने किल्लीखरी को अपनी राजधानी बनाया।
जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई. में उसके भतीजा व दामाद आउद्दीन खिलजी ने कड़ामानिकपुर (प्रयाग) में कर दी।
अमीर खुसरो का मूल नाम मुहम्मद हसन था। उसका जन्म पटियाली (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायूँ के पास) में 1253 ई. में हुआ । खुसरो प्रसिद्ध सूफी संत शेख22 अक्टू., 1296 में अलाउद्दीन था दिल्ली का सुल्तान बना।निजामुद्दीन औलिया के शिष्यअलाउद्दीन के बचपन का नाम अती तथा गुरास्पदा ।
ये। वह बलवन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक दिल्ली मुल्तानों के दरबार में रहे। इन्हें तुतिए हिन्द (भारत का तोता) के नाम से भी जाना जाता है। सितार एवं तबले के आविष्कार का श्रेय अमीर खुसरों को ही दिया जाता है।
अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थायी सेना की नींव रखी। दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थायी सेना थी।
घोड़ा दागने एवं सैनिकों का हुलिया लिखने की प्रथा की शुरुआत अलाउद्दीन खिल्जी ने की।
अलाउद्दीन ने भूराजस्व की दर को बढ़ाकर उपज का 1/2 भाग कर दिया।
इसने खम्स (छूट का धन) में सुल्तान का हिस्सा 1/4 भाग के स्थान पर 3/4 भाग कर दिया।
इसने व्यापारियों में बेईमानी रोकने के लिए कम तौलने वाले व्यक्ति के शरीर से मांस काट लेने का आदेश दिया। इसने अपने शासनकाल में ‘मूल्य नियंत्रण प्रणाली को दृढ़ता से लागू किया।
दक्षिण भारत की विजय के लिए चाजार नियंत्रण करने के लिए अलाउद्दीन ने मलिक काफूर को भेजा।
अलाउद्दीन खिल्जी द्वारा बनाए जाने वाले नवीन पद क्रमानुसार) दीवान-ए-रियासत यह व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था। यह बाजार-नियंत्रण की पूरी व्यवस्त्या का संचालन करता था।
जसैयत खाना मस्जिद अताई दरवाजा, सीरी का किताव हजार खम्भा महल का निर्माण
अलाउद्दीन ने करवाया था। अलाई दरवाजा को इस्लामी वास्तुकला का रल कहा जाता है।शहना-एनडी प्रत्येक बाजार में बाजार काअधीक्षक ।
देवी अधिकार के सिद्धान्त को अलाउद्दीन ने चलाया था।
बरीद बाजार के अन्दर घूमकर बाजार का निरीक्षण करता था। मुनहियान व गुप्तचर गुप्त सूचना प्राप्त करता था।
सिकन्दर-ए-सानी की उपाधि से स्वयं को अलाउद्दीन खिलजी ने विभूषित किया।
अलाउद्दीन ने मलिक याकूब को दीवान-ए-रियासत नियुक्त किया था।
अलाउद्दीन द्वारा नियुक्त परवाना-नवीस नामक अधिकारी वस्तुओं की परमिट जारी करता था।
शहना-ए-मंडी यहाँ खाद्यान्नों को बिक्री हेतु लाया जाता था। सराए-ए-अदल-यहाँ वस्त्र, शक्कर, जड़ी-बूटी, मेवा, दीपक का तेल एवं अन्य निर्मित वस्तुएँ बिकने के लिए आती थी।
अलाउद्दीन खिलजी की आर्थिक