1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के विषय में लिखें।
अनुच्छेद 19 के द्वारा भारतीय नागरिकों को स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। इसके अन्तर्गत बोलने की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक सभा करने की स्वतंत्रता, संघ बनाने की स्वतंत्रता, देश के किसी भी क्षेत्र में आवागमन की स्वतंत्रता, देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने की स्वतंत्रता तथा कोई भी व्यापार करने एवं जीविका चुनने की स्वतंत्रता दी गई है।
2.जिला परिषद के तीन कार्य लिखें।
जिला परिषद पंचायती राज का शीर्ष संगठन है। इसके प्रमुख कार्य निम्नांकित
(1) कृषि, सिंचाई, बागवानी, भूमि सुधार एवं संरक्षण के कार्य-कृषि उत्पादकता के लिए समस्त कार्यों का प्रबंधन ।
(1) सार्वजनिक सुविधा इसके अन्तर्गत ग्रामीण विद्युतीकरण आवश्यक वस्तुओं का वितरण, ग्रामीण सड़क एवं पुल-पुलिया निर्माण, यातायात की व्यवस्था जैसे कार्य किए जाते हैं।
(iii) शिक्षा-सम्बन्धी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय, पुस्तकालय की स्थापना एवं देख-रेख।
(iv) सामाजिक कल्याण-प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना एवं संचालन, टीकाकरण, परिवार कल्याण से संबंधित कार्य आते हैं।
3.भारत को गणतंत्र क्यों कहा जाता है?
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को गणतंत्र घोषित किया है। इसे स्पष्ट किया गया है कि देश में किसी वंशगत राजा का शासन नहीं होगा। संविधान यह व्यवस्था करता है कि देश का शासक राष्ट्रपति होगा, जो जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से एक निश्चित अवधि के लिए चुना जायेगा।
4. गठबंधन की सरकारों में साझेदार कौन-कौन होते हैं?
भारत में गठबंधन की राजनीति अब समय की माँग बन गई है। बहुमत नहीं मिलने के कारण राजनीतिक गठबंधन करना पड़ता है। अब केन्द्र में तथा कुछ राज्यों में कोई राजनीतिक दल अकेले सरकार बनाने की स्थति में नहीं दिखाई दे रही है। 1967 तक राज्यों तथा 1989 तक केन्द्र में कांग्रेस को बहुमत प्राप्त रहा। इसके उपरान्त केन्द्र और राज्यों में सरकार बनाने के लिए कई दलों के सहयोग से बहुमत जुटाने के युग का प्रारंभ हुआ जिसे गठबंधन की सरकार की संज्ञा दी गई। गठबंधन में कई राजनीतिक दल सम्मिलित होते हैं। निर्दलीय भी गठबंधन के साझेदार होते हैं। उदाहरण के लिए केन्द्र में 1991 में पी० वी० नरसिम्हा राव की सरकार बनी। अभी बिहार में गठबंधन की सरकार
5.राजनीति और भ्रष्टाचार
विचार बिन्दु – 1. प्राचीन स्वरूप, 2. वर्तमान स्थिति, 3. सत्ता लोलुपता, 4. भ्रष्ट आचरण का बोलबाला, 5. समाधान के उपाय।
प्राचीन स्वरूप राजनीति प्राचीन काल में साफ-सुथरी थी। राजतंत्र में राजा जनता की भलाई के लिए तत्पर रहता था। परन्तु राजनीति बेईमानी को अपना आधार मानकर चलती है। लोगों में नैतिकता, सदाचरण, विनम्रता, सत्यवादिता इत्यादि का अभाव हो गया है।
वर्तमान स्थिति आजादी के समय देश के समस्त नेताओं ने ‘रामराज्य’ के स्वप्न को साकार करने का संकल्प लिया परंतु वर्तमान में भारतीय राजनीति का अपराधीकरण जिस तीव्र गति से बढ़ रहा है उसे देखते हुए कोई भी कह सकता है कि हम अपने लक्ष्य से पूर्णतः भटक चुके हैं।
सत्ता लोलुपता आज की राजनीति में सत्ता लोलुपता बढ़ गयी है। राजनीति देश-सेवा का नाम नहीं रही। देश के विकास पर किसी का ध्यान नहीं है। सभी येन-केन-प्रकारेण कुर्सी पर बैठना चाहते हैं। अमेरिका, चीन, पाकिस्तान-ये विदेशी भी भारत की राजनीति को कमजोर करके रखना चाहते हैं। घूस देकर समझौते कराते हैं और फिर हिन्दुस्तान को लूटते हैं। सोनिया, लालू, मुलायम, मायावती-सभी सत्ता के लिए जीभ लपलपाते रहते हैं। लूटना इनका धर्म बन गया है।
भ्रष्ट आचरण का बोलबाला स्वतंत्रता के बाद राजनीति में इतनी गड़बड़ी क्यों आ गयी? भ्रष्ट आचरण का ही बोलबाला हो उठा है। चरित्रवान् एवं वास्तविक रूप से शिक्षित लोगों की कमी हो गयी है। भांगी मात्र भ्रष्ट हो गया है। आनेवाली पौड़ियाँ भी आँखें चार करने में लगी हैं। माता पिता एवं गुरु की कील सुरता है? यह सब बीते दिनों की बात हो गयी। जब राजा ही लुटेरा हो गया तो प्रजा को तो उसी रास्ते पर चलना था। सिता डिक्रीमूलक हो गयी है, चरित्रमूलक नहीं।
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समाधान के उपाय राजनीति को भ्रष्टाचार से रोग कवं पड़ जाय तो ईलाज संभव नहीं होता। भारतीय मुक्त करने के लिए शिक्षा ही एकमात्र दवा बची है।