बिहार बोर्ड सामाजिक विज्ञान 10थे और 12th महत्वपूर्ण प्रश्न उतर देखें।
10th Exam 12th Exam Bihar Board Exam Matric Exam

Bihar Board सामाजिक विज्ञान 10th और 12th महत्वपूर्ण प्रश्न उतर देखें।

1. औद्योगिकीकरण के परिणामस्वरूप होने वाले परिवर्तनों पर प्रकाश डालें।

1. औद्योगिकीकरण के प्रभाव से यहाँ के आर्थिक एवं सामाजिक जीवन में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए। ये परिवर्तन निम्नलिखित है

(1) साम्राज्य राष्ट्र‌वाद का विकास औद्योगिकीकरण के कारण भारी मात्रा में कच्चे माल तथा उत्पादों की खपत हेतु बाजार की आवश्यता थी। उपनिवेशों में ये दोनों ही उपलब्ध थे। उपनिवेशों की होड़ ने साम्राज्यवाद को जन्म दिया।

(II) कुटीर उद्योगों का पतन बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना से प्राचीन लघु एवं कुटीर उद्योग का पतन हो गया। कुटीर उद्योग में तैयार माल महंगा तथा कारखाने में उत्पादित सामान सस्ता था। नतीजा यह हुआ कि कुटीर उद्योग समाप्त होने लगे क्योंकि बाजार में उसकी माँग घट गयी थी।

(iii) समाज में वर्ग विभाजन तीन वर्गों का उदय हुआ औद्योगिकीकरण के फलस्वरूप समाज में पूँजीपति, बुर्जुआ तथा मजदूर वर्ग।

(iv) स्लम पद्धति की शुरुआत फैक्ट्री मजदूर वर्ग शहर में औद्योगिकीकरण के परिणामस्वरूप नवोदित छोटे-छोटे घरों में रहने लगे। जहाँ किसी प्रकार की सुविधा नहीं थी। इस प्रकार स्लम पद्धति की शुरुआत हुई।

(२) उद्योगों का विकास औद्योगिकीकरण के कारण भारत में कारखानों की स्थापना एवं नये-नये यंत्रों का आविष्कार हुआ। विभिन्न उद्योगोंसे संबद्ध कारखाने खुले और उद्योगों का बड़े स्तर पर विकास हुआ। लोहा एवं इस्पात, कोयला, सीमेंट, चीनी, कागज, शीशा और अन्य उद्योग स्थापित हुए जिनमें बड़े स्तर पर उत्पादन हुआ।

2. उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं? औद्योगीकरण ने कैसे उपनिवेशवाद को जन्म दिया?

विकसित देशों द्वारा अविकसित देशों पर अधिकार कर उसकी सामाजिक आर्थिक, सांस्कृतिक एवं उसके शासन प्रबन्ध पर नियंत्रण कर लेने को ही उपनिवेशवाद कहते हैं।

आरंभ में वहाँ के आर्थिक संसाधनों का उपयोग किया, परन्तु आगे चलकर वहाँ के राजनीतिक व्यवस्था पर भी अधिकार कर लिया। यूरोपीय प्रजातियों ने एशिया और अफ्रीका पर आधिपत्य स्थापित किया। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप सर्वप्रथम उपनिवेशवाद का आरंभ इंगलैंड से हुआ। इंगलैंड के उद्योगों को कच्चा माल एवं वहाँ के कारखानों में निर्मित सामानों की बिक्री के लिए बाजार की आवश्यकता थी। जैसे-जैसे औद्योगीकरण की गति बढ़ी वैसे-वैसे उपनिवेशीकरण में तेजी आई। इंगलैंड के अतिरिक्त फ्रांस और जर्मनी ने भी अपने उपनिवेश स्थापित किए। उपनिवेशीकरण और औद्योगीकरण ने साम्राज्यवाद को बढ़ावा दिया। साम्राज्यवादी प्रवृत्ति विश्वयुद्धों का कारण बनी। प्रथम एवं द्वितीय विश्वयुद्ध का यह एक प्रधान कारण था। दूसरे देशों के उपनिवेशों पर अधिकार करने की नीति ने प्रतिद्व द्विता एवं संघर्ष को जन्म दिया। 20वीं शताब्दी में, उपनिवेशों में शोषण के विरुद्ध प्रतिक्रिया आरंभ हुई। इसी क्रम में एशिया में भारत ब्रिटेन के एक विशाल उपनिवेश के रूप में उभरा।

3. कोयला एवं लौह उद्योग ने औद्योगीकरण की गति प्रदान की। कैसे?

कोयला एवं लोहा कारखानों एवं मशीनों को चलाने के लिए आवश्यक है। भारत में कोयला उद्योग 1814 से शुरू हुआ। वस्त्र उद्योग की प्रगति कोयले एवं लोहे के उद्योग पर बहुत अधिक निर्भर करती थी इसलिए अंग्रेजों ने इन उद्योगों पर अधिक ध्यान दिया।

सन् 1815 में हम्फ्री डेवी ने खानों में काम करने के लिए एक ‘सेफ्टी लैंप’ का आविष्कार किया। हेनरी ने एक शक्तिशाली भट्टी विकसित करके लौह उद्योग को और अधिक बढ़ावा दिया। रेलवे के निर्माण से लौह उद्योग में तेजी आयी। इस तरह कोयला एवं लौह उद्योग ने औद्योगीकरण को गति दिया।

4. न्यूनतम मजदूरी कब पारित हुआ और इसके क्या उद्देश्य थे?

मजदूरों की आजीविका एवं उसके अधिकारों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सन् 1948 ई० में न्यूनतम मजदूरी कानून पारित किया।

उद्देश्य न्यूनतम मजदूरी कानून 1948 के द्वारा कुछ उद्योगों में मजदूरी की दरें निश्चित की गयी। प्रथम पंचवर्षीय योजना में इसे महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया तथा दूसरी योजना में यहाँ तक कहा गया कि. न्यूनतम मजदूरी उनकी ऐसी होनी चाहिए जिससे मजदूर केवल अपना ही गुजारा न कर सके, बल्कि इससे कुछ और अधिक हो, ताकि वह अपनी कुशलता को भी बनाये रख सके। तीसरी पंचर्षीय योजना में मजदूरी बोर्ड स्थापित किया गया और बोनस देने के लिए बोनस आयोग की भी नियुक्ति हुई।

5. मशीनों के आविष्कारों की श्रृंखला ने औद्योगिक क्रांति का मार्ग किस प्रकार प्रशस्त किया?

औद्योगिकीकरण के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-

(1) नये-नये मशीनों का आविष्कार अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में ब्रिटेन में नये-नये यंत्रों एवं मशीनों के आविष्कार ने उद्योग जगत में ऐसी क्रांति का सूत्रपात किया, जिससे औद्योगिकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। 1770 ई० में जेम्स हारग्रीब्ज ने सूत काटने की एक अलग मशीन ‘स्पिनिंग जेनी’ बनाई। सन् 1773 में जॉन के ने फ्लाइंग शट्ल’ बनाया। टॉमस बेल के ‘बेलनाकार छपाई’ के आविष्कार ने तो सूती वस्त्रों की रंगाई एवं छपाई में नई क्रांति ला दी।

(II) कोयले एवं लोहे की प्रचरता चूँकि वस्त्र उद्योग की प्रगति कोयले एवं लोहे के उद्योग पर बहुत अधिक निर्भर करती है। ब्रिटेन में कोयले एवं लोहे की खानें प्रचूर मात्रा में थी। 1815 ई० में हेनरी बेसेमर ने एक शक्तिशाली भट्ठी विकसित करके लौह उद्योग को और भी बढ़ावा दिया।

(iii) उद्योग तथा व्यापार के नये-नये केंद्र फैक्ट्री प्रणाली के कारण उद्योग एवं व्यापार के नये-नये केंद्र स्थापित होने लगे। लिवरपुल में स्थित लंकाशायर तथा मैनचेस्टर सूती वस्त्र उद्योग का बड़ा केंद्र बन गया। न्यू साउथ वेल्स ऊन उत्पादन का केंद्र बन गया।

6.स्लम पद्धति की शुरुआत कैसे हुई?

छोटे, गंदे और अस्वास्थ्यकर स्थानों में जहाँ फैक्ट्री मजदूर निवास करते हैं वैसे आवासीय स्थलों को ‘स्लम’ कहा जाता है।

औद्योगिकीकरण के फलस्वरूप बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हुए जिसमें काम करने के लिए बड़ी संख्या में गाँवों से मजदूर पहुँचने लगे। वहाँ रहने की कोई व्यवस्था नहीं थी। मजदूर कारखाने के निकट रहें, इसलिए कारखानों के मालिकों ने उनके लिए छोटे-छोटे तंग मकान बनवाए। जिसमें सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थीं। इन मकानों में हवा, पानी तथा रोशनी तथा साफ-सफाई की व्यवस्था भी नहीं थी।

7.विऔद्योगीकरण से आप क्या समझते हैं?

ब्रिटिश आर्थिक नीतियों के कारण देशी उद्योगों में लगातार गिरावट आती गई। 19 वीं शताब्दी के दूसरे भाग से मैनचेस्टर में बने कपड़ों का बड़े पैमाने पर आयात किया गया। इससे हथकरधा उद्योग बंदी के कगार पर पहुँच गया। इससे बुरी स्थिति वस्त्र उद्योग को हुई। बंगाल में अनेक बुनकरों ने काम बंदकर दूसरा व्यवसाय अपना लिया। यही स्थिति अन्य उद्योगों को हुई। इसे ही निरूद्योगीकरण कहते हैं।

 

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