बिहार बोर्ड 10th और 12th सामाजिक विज्ञान महत्वपूर्ण प्रश्न उतर
10th Exam 12th Exam Bihar Board Exam Matric Exam

बिहार बोर्ड 10th और 12th सामाजिक विज्ञान महत्वपूर्ण प्रश्न उतर ।

1. नई औद्योगिक नीतियों के मुख्य बिन्दुओं का वर्णन करें।

नई औद्योगिक नीति के मुख्य बिन्दु है-

(1) देश के कई क्षेत्रों को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया अथर्थात् देश में निजीकरण पर बल दिया गया।

(1) कुछ उद्योगों को छोड़कर शेष सभी उद्योगों को लाइसेंस से मुक्त कर दिया गया, जिसे उदारीकरण कहा गया है।

(ii) व्यापार प्रतिबन्धों का कम कर वैश्वीकरण पर जोर दिया गया।

2. उपभोक्ता उद्योग किसे कहा जाता है?

जिस उद्योग के उत्पादन का उपभोग सोधे उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है, उसे उपभोक्ता उद्योग कहा जाता है। जैसे- सीमेंट, पेपर, दंतमंजन, पंखा इत्यादि।

3.उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से आप क्या समझते है?

1991 ई में भारत सरकार द्वारा उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण की नीति अपनाई गई। उदारीकरण का अर्थ अर्थव्यवस्था के नियंत्रण वाले प्रावधानों को शिथिलीकरण करना है। इसे ‘अनियंत्रण की नीति’ भी कहा जाता है। निजीकरण का तात्पर्य अर्थव्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप एवं नियंत्रण की जी क्षेत्र को महत्त्व प्रदान करना है।वैश्वीकरण का अर्थ देश की अर्थव्यवस्था को अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यस्था के साथ जोड़ना है। वैश्वीकरण की नीति अपनाये जाने के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी पूँजी का प्रवाह बढ़ा है। इससे प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होने लगी है। विदेशी उद्योगों के आने से लोगों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की वस्तुएँ प्राप्त होने लगी है। वैश्वीकरण की नीति के कारण संचार एवं परिवात बाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। परन्तु इस नीति से देश के लघु एवं कुटीर उद्योगों पर नकरात्मक प्रभाव पड़ा है। फिर भी, भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की गति वैश्वीकरण के कारण तीव्र हुई है।

4.सार्वजनिक और निजी उद्योगों में अन्तर स्पष्ट करें।

सार्वजनिक उद्योग- जब किसी उद्योग का संचालन एवं नियंत्रण सरकार अथवा इसके द्वारा नियुक्त व्यक्ति के हाथों में होता है तब उसे सार्वजनिक उद्योग कहा जाता है। जैसे-बोकारो लोहा-इस्पात उद्योग, भारत हेवी इलेक्ट्रिक लिमिटेड।

निजी उद्योग जब किसी उद्योग का स्वामित्व एवं नियंत्रण किसी निजी व्यक्ति अथवा उसके द्वारा नियुक्त व्यक्ति के हाथों में होता है तब इस प्रकार के उद्योग को निजी उद्योग कहा जाता है। जैसे-टाटा उद्योग, गोदरेज उद्योग आदि।

5.स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को सोदाहरण वर्गीकृत कीजिए।

स्वामित्व के आधार पर उद्योगों के निम्नलिखित तीन वर्ग किये जाते हैं। ।। निजी उद्योग जब किसी उद्योग का स्वामित्व एवं नियंत्रण किसी निजी व्यक्ति के हाथों में होता है तब इस प्रकार के उद्योग को निजी उद्योग कहा जाता है। जैसे टाटा उद्योग, गोदरेज उद्योग।

(II) सार्वजनिक उद्योग जब किसी उद्योग का संचालन एवं नियंत्रण सरकार अथवा इसके द्वारा नियुक्त व्यक्ति के हाथों में होता है तब उसे सार्वजनिक उद्योग कहा जाता है, जैसे-बोकारो लौह-इस्पात उद्योग, भारतीय आयुध कारखाना।

(1) संयुक्त उद्योग जब किसी उद्योग का संचालन एवं नियंत्रण सरकार एवं निजी व्यक्ति के संयुक्त प्रयास से किया जाता है तब ऐसे उद्योग को संयुक्त उद्योग कहा जाता है, जैसे-महाराष्ट्र के कई चीनी उद्योग अमूल।

6.कृषि-आधारित और खनिज आधारित उद्योगों में अंतर स्पष्ट कीजिए।

कृषि आधारित उद्योग

(1) इन उद्योगों को कच्चा माल कृषि से मिलता है।

(ii) ये उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं।

खनिज आधारित उद्योग

(1) इन उद्योगों को कच्चा माल खनिज से मिलता है।

(ii) ये उद्योग ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करते हैं।

(iii) ये अधिकतर उपभोग्य वस्तुओं का ही उत्पादन करते हैं।

(iii) ये उपभोग तथा मूल्य पर आधारित दोनों प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।

(iv) उदाहरणखचीनी, पटसन, वस्त्र ( तथा वनस्पति तेल आदि।

iv) उदाहरणखलोहा-इस्पात, मशीनी उपकरण, पोत निर्माण आदि।

7.तापीय प्रदूषण को परिभाषित करें।

उद्योगों तथा तापघरों से गर्म जल को बिना ठंढा किये ही नदियों तथा तालाबों में छोड़ दिया जाता है। इसे ही तापीय प्रदूषण कहा जाता है। इससे सूख्य जीव-जंतु एवं जलीय वनस्पति जलकर नष्ट हो जाती हैं।

8.उद्योगों के स्थानीयकरण के तीन मुख्य कारकों को लिखें।

उद्योगों के स्थानीयकरण के तीन प्रमुख कारक इस प्रकार हैं

(1) कच्चा माल उद्योगों में कच्चा माल को ही तैयार माल में बदला जाता है, जैसे गन्ना से चीनी, कपास से सूती वस्त्र।

(11) शक्ति के साधन उद्योगों की स्थापना के लिए शक्ति अतिआवश्यक है, जैसे कोयला, खनिज तेल विद्युत।

(iii) परिवहन सुविधा कच्चा माल को औद्योगिक केन्द्रों तक तथा निर्मित वस्तुओं को बाजार तक पहुँचाने के लिए परिवहन के साधन जरूरी है।

9.भारत में लौह एवं इस्पात उद्योग के वितरण का वर्णन करें।

खनिज आधारित उद्योगों में लोहा एवं इस्पात उद्योग काफी महत्त्वपूर्ण है। देश में आधुनिक ढंग का पहला सफल एवं छोटा कारखाना 1874 में कुल्टो (प. बंगाल) में लगाया गया था जबकि आधुनिक ढंग का बड़ा कारखाना 1907 में साकची (जमशेदपुर) नामक स्थान पर टिस्को नाम से खुला। इसके बाद 1919 में बर्नपुर (प-बंगाल) तथा 1923 में भद्रावती (कर्नाटक)में लौह-इस्पात कारखाने खोले गए। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद राउरकेला (उड़ीसा), दुर्गापुर (प-बंगाल) एवं मिलाई (छत्तीसगढ़) में इसके कारखाने लगाए गए। तृतीय पंचवर्षीय योजना में बोकारो (झारखंड) में इसका एक कारखाना लगाया गया जो 1974 से कार्यरत है। 20वीं सदी के उनरार्द्ध में तीन और कारखाने सलेम, विशाखापत्तनम और विजयनगर में स्थापित किया गया। वर्तमान समय में लोहा एवं इस्पात के 10 बड़े एवं 200 से अधिक तमु कारखाने हैं। इनमें जमशेदपुर को भारत का बर्मिंघम कड़ा जाता है। देश में

इस उद्योग के स्थानीयकरण की चार प्रवृत्तियों दिखती हैं- (1) लौह अयस्क क्षेत्र की निकटता, (ii) कोयला क्षेत्र की निकटता, (iii) दोनों की मध्यवर्ती स्थिति और (iv) बंदरगाह की निकटता।

10.भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण कावर्णन करें।

सूती वस्त्र उद्योग देश का काफी प्राचीन उद्योग है जिसमें लगभग 15 करो लोग लगे हुए हैं। इस उद्योग का पहला कारखाना 1854 में मुंबई में स्थापित किया गया। आज इस उद्योग के देश में लगभग 1846 से अधिक मिले हैं। सर्वाधिक मिलें महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु एवं पश्चिम बंगाल में हैं। दक्षिण भारत में जलशक्ति के विकास के कारण इस उद्योग का विकेंद्रीकरण हु है।

सूती-वस्त्र उद्योग के कारखाने आरंभ में कपास उत्पादक क्षेत्रों में लगाए गए, बाद में इसका विकेंद्रीकरण पूरे देश में हुआ है। 1950-51 में लगभग 4 अरब मीटर कपड़ा तैयार किया गया जो आजकल 53 अरब मीटर हो चुका है।

वर्तमान में इस उद्योग के केन्द्र मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, कानपुर, चेन्नई, बड़ोदरा, कोयंबटूर, मदुरै, ग्वालियर, सूरत, मोदीनगर, शोलापुर, इंदौर, उज्जैन, नागपुर हैं। देश में कुल सूती वस्त्र मिलों का 80% निजी क्षेत्र में और शेष सार्वजनिक एवं सहकारी क्षेत्र में है। देश का 25% सूती-वरव तैयार करने के कारण मुंबई को ‘कॉटनोपोलिस’ कहा जाता है।

देश के इस वृहत उद्योग का औद्योगिक उत्पादन में 14%, सकल घरेलू उत्पादन में 4% तथा विदेशी आय में 17% से अधिक योगदान है। इतना महत्त्वपूर्ण होते हुए भी आज यह उद्योग कई समस्याओं से गुजर रहा है। फिर भी, 1999-2000 में देश से 577 अरब रुपये मूल्य के

सूती वस्त्र का निर्यात किया गया। कुल निर्यात में वस्त्र उद्योग की भागीदारी 30% है।

 

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