1. बिहार में जनसंख्या सभी जगह एक समान नहीं है। स्पष्ट करें।
उतर—बिहार राज्य की जनसंख्या एक समान नहीं है। जनसंख्या वितरण पर राज्य की धरातलीय उच्चावच का प्रभाव पड़ता है। बिहार के मैदानी क्षेत्रों में जहाँ कृषि, सिंचाई, उपजाऊ मिट्टी एवं नगरीकरण का प्रभाव है। वहाँ जनसंख्या अत्यंत घ
नी पायी जाती है। जबकि पहाड़ी, उर्वर मिट्टी का अभाव, सिंचाई की कमी आदि के कारण जनसंख्या विरल पायी जाती है। पटना, दरभंगा, गया, मुजफ्फरपुर जिलों में जनसंख्या घनी पायी जाती है। जबकि पश्चिमी चंपारण, बाँका, कैमूर जिलों में जनसंख्या कम घनी पायी जाती है।
2. बिहार के किस भाग में सिंचाई की आवश्यकता है और क्यो
कारण इसका सम्पर्क समुद्री मार्ग के नहीं है। यहाँ जलमार्ग के लिए नदियों का उपयोग किया गया है। गंगा, घाघरा, कोसी, गंडक और सोन नदियाँ मुख्य रूप से जल परिवहन के लिए उपयोग में लायी जाती है। घाघरा नदी से खाद्यान्न, गण्डक से लकड़ी, फल, सब्जी सोन से बालू और पुनपुन नदी से बाँस ढोया जाता है। वर्तमान समय में जल परिवहन के लिए स्टीमर बड़ी-बड़ी नावें कार्यरत हैं।
गंगा नदी में हल्दिया इलाहाबाद राष्ट्रीय जल मार्ग का विकास किया गया है। हाल में ही महेन्द्रु घाट के पास एक राष्ट्रीय पोत संस्थान की स्थापना की गई है। बिहार में नदियों से संबंधित सिंचाई योजना के अंतर्गत नहरों के निर्माण में जल मार्ग के विकास की संभावनाएँ हैं। नहरों से परिवहन के लिए कई योजनाओं पर कार्य चल रहा है।
3. बिहार के प्रमुख ऊर्जा स्त्रोतों का वर्णन कीजिए और किसी एक स्त्रोत का विस्तृत वर्णन कीजिए।
इस नदी पर डेहरी-ऑन-सोन के निकट एक वाँध बनाया गया है। इस बाँध से 10 कि॰मी॰ ऊपर हटकर इन्द्रपुरी बराज बनाया गया है। इस परियोजना के तहत दो जल विद्युत उत्पादन केन्द्र पूरब में बारूण के पास तथा पश्चिम में डेहरी के पास विकसित किए गए हैं। इनकी उत्पादन क्षमता 3.3 मेगावाट एवं 6.6 मेगावाट है। सोन नदी और पटना मुख्य नहर के संगम पर अगनूर के निकट भी 100 किलोवाट विद्युत उत्पादन क्षमता का एक शक्ति केन्द्र स्थापित किया गया है।
4. सोन अथवा कोसी नदी घाटी परियोजना के महत्त्व पर प्रकाश डालें।
(1) सोन नदी घाटी परियोजना- यह परियोजना बिहार की सबसे पुरानी तथा पहली नदी घाटी परियोजना है। इस परियोजना का विकास अंग्रेज सरकार द्वारा 1874 ई० में हुआ। इसमें डेहरी के निकट से पूरय एवं पश्चिम की ओर नहरें निकाली गई हैं। इसकी कुल लम्बाई 130 कि॰मी॰ है। इस नहर से पटना एवं गया जिले में कई शाखाएँ तथा उपशाखाएँ निकाली गई हैं जिससे औरंगाबाद, भोजपुर, बक्सर, रोहतास जिले की भूमि सिंचित की जाती है। वर्तमान में इससे कुल 4.5 लाख हेक्टेयर खेतों की सिंचाई की जाती है। सूखा प्रभावित क्षेत्र की सिंचाई की सुविधा प्राप्त होने से बिहार का दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र का प्रति हेक्टेयर उत्पादन काफी बढ़ गया है और चावल की अधिक खेती होने लगी हैं। इस कारण से इस क्षेत्र को चावल का कटोरा कहते हैं।
(11) कोसी नदी घाटी परियोजना- इस परियोजना का प्रारंभ 1995 में बिहार के पूर्वांचल क्षेत्र में किया गया। कोसी नदी द्वारा इस क्षेत्र में भयानक बाढ़ एवं तबाही आती थी। कोसी नदी निरन्तर अपनी धारा बदलती रहती थी। अतः इसे ‘बिहार का शोक’ कहते थे। परियोजना के निर्माण के पश्चात कोसी नदी वरदान स्वरूप अपनी निर्मल धारा से कोसी क्षेत्र की समृद्धि में योगदान कर रही है। इसके अन्तर्गत पड़ने वाले क्षेत्र मुख्यतः पूर्णिया, मधेपुरा, सहरसा, अररिया, बिहार की जनसंख्या के घनत्व पर विस्तार से चर्चा करें।फारबिसगंज आदि अब निरंतर तीव्र विकास की ओर अग्रसर हैं। बिहार सरकार ने कोसी में नहरों तथा विद्युत उत्पादन की दिशा में व्यापक कार्य योजना तैयार की है।
5. बिहार की जनसंख्या के घनत्व पर विस्तार से चर्चा करें।
बिहार राज्य में प्रतिवर्ग किमी जनसंख्या का घनत्व 2011 की जनगणना के अनुसार 1,106 व्यक्ति है। विहार के विभिन्न भागों में जनसंख्या के घनत्व में अन्तर पाया जाता है। इसे निम्न प्रकार से देखा जा सकता है (1)
अत्यधिक घनत्व वाले जिला- इसके अंतर्गत पटना, सीतामढ़ी, वैशाली, दरभंगा, सारण, पू० चम्पारण, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, समस्तीपुर, सिवान, बेगूसराय, नालन्दा, गोपालगंज, जहानाबाद, शिवहर जिले आते हैं। जहाँ जनसंख्या का घनत्व 1200 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से अधिक पाया जाता है।
(ii) उच्च घनत्व वाले जिले इसके अंतर्गत वे जिले आते हैं जिसका घनत्व 1000-1200 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। इनमें पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, भोजपुर, मधेपुरा, सहरसा, बक्सर खगड़िया, अरवल जिले आते हैं।
(iii) मध्यम घनत्व वाले जिले इसके अंतर्गत 800-1000 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी जनसंख्या का घनत्व माया जाता है। इसमें मुख्य रूप से गया, अररिया, सुपौल, नवादा, किशनगंज, मुंगेर, शेखपुरा जिले आते हैं।
(iv) कम घनत्व के जिले यहाँ 600-800 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी जनसंख्या का घनत्व पाया जाता है जिसमें पं० चम्पारण, रोहतास, औरंगाबाद, लखीसराय जिले आते हैं।
6. बिहार के प्रमुख ऊर्जा स्रोतों का वर्णन कीजिए और किसी एक स्रोत का विस्तृत वर्णन करे।
बिहार में ऊर्जा के कई स्रोत उपलब्ध हैं, जैसे जल विद्युत, तापीय विद्युत, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, पवन ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, बायोगैस आदि। यहाँ जल विद्युत एवं तापीय विद्युत का ही उत्पादन हो रहा है। जल विद्युत
उत्पादन की चर्चा आगे की जा रही हैं।
बिहार में जल विद्युत उत्पादन- बिहार सोन परियोजना के अंतर्गत डेहरी,
वारूण, पश्चिमी चंपारण में कटैया विद्युत गृह से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। बिहार में अभी 44.10 मेगावाट पनबिजली उत्पादन होता है। इसके अतिरिक्त कई जल विद्युत परियोजनाएँ अभी निर्माणाधीन है। इनका कार्य पूरा होते ही बिहार जल विद्युत में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
7. प्राकृतिक आपदा में उपयोग होने वाले वैकल्पिक संचार माध्यमों के नाम लिखिए।
उत्तर —प्राकृतिक आपदाकाल में सड़क, रेल लाइन, टेलीफोन लाइन के टूट जाने से संचार व्यवस्था भंग हो जाती है। जिससे बचाव एवं सहायता कार्य में कठिनाई होती है। इस कठिनाई से बचने के लिए हेलीकॉप्टर, नावें, मोबाइल और वॉकी-टॉकी का सहारा लिया जाता है। वायरलेस और टेलीविजन भी मदद पहुँचाने में सहायक होते हैं। लाउडस्पीकर का भी सहारा लिया जाता है। वर्तमान में हैम-रेड़ियो वैकल्पिक व्यवस्था में उत्तम साधन है। इसमें टावर इत्यादि की आवश्यकता नहीं होती। इसमें संबंध बनाने का कार्य सेटेलाइट से होता है। संचार उपग्रह से भी आपदा संबंधी जानकारी मिलती है। संचार उपग्रह पर आपदा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अतः ऐसे समय में इनका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।