बिहार बोर्ड 12th Economics Vvi solved Question answer 2025
10th Exam 12th Exam Bihar Board Exam Matric Exam

बिहार बोर्ड 12th Economics Vvi solved Question answer 2025

प्रवम पंचवर्षीय योजना (1951-56 ई.)

यह योजना ‘हरॉड-डोमर मॉडल’ पर आधारित थी।इस योजना का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था के संतुलित विकास की

प्रक्रिया आरंभ करना था।इस योजना में कृषि को उच्च प्राथमिकता दी गई।

इस योजना के दौरान राष्ट्रीय आय में 18% तथा प्रति व्यक्ति आय में 11% की कुल वृद्धि हुई।

 इस योजना काल के दौरान कई बड़ी सिंचाई परियोजनाएँ शुरू की गयी जैसे भाखड़ा नांगल परियोजना, व्यास परियोजना, दामोदर नदी घाटी परियोजना आदि ।

 इस योजनाकाल में सार्वजनिक उद्योग के विकास की उपेक्षा की गई तथा इस मद में मात्र 6% राशि खर्च की गई।

 

नोट ः सामुदायिक विकास कार्यक्रम का प्रारंभ 1952 में किया गया।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61 ई.)

यह योजना पी सी. महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी।

इसका मुख्य उद्देश्य समाजवादी समाज की स्थापना करना था।

इस योजना में देश के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए 5 वर्षों में राष्ट्रीय आय में 25% की वृद्धि करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।

इसमें भारी उद्योगों व खनिजों को उच्च प्राथमिकता दी गई तथा इस मद में सार्वजनिक क्षेत्र के व्यय की 24% राशि व्यय की गई।द्वितीय प्राथमिकता यातायात व संचार को दी गई जिसपर 28% राशि व्यय किया गया।

अनेक महत्वपूर्ण वृहत् उधोग जैसे-दुर्गापुर, भिलाई, राउरकेला के इस्पात कारखाने इसी योजना के दौरान स्थापित किये गये।

तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-66 ई.)

 इस योजना का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना तथा स्वतः स्फूर्त अवस्था में पहुँचाना था।

इस योजना में कृषि व उद्योग दोनों को प्राथमिकता दी गई।इसी योजना के अंतर्गत 1964 में पूर्व सोवियत संघ के सहयोग से बोकारो (झारखंड) में बोकारो आयरन एंड स्टील इंडस्ट्री की स्थापना की गई।

 इस योजना की असफलता का मुख्य कारण भारत-चीन युद्ध, भारत-पाक युद्ध तथा अभूतपूर्व सूखा था।इस योजना के दौरान सरकार द्वारा बनाई गई कृषि नीति ने हरित क्रांति को जन्म दिया।

नोट। भारत में हरित क्रांति के जनक कृषि वैज्ञानिक एमएस को कहा जाता है। विश्वरित के जनक नॉर्मन ई

योजना अवकाश (1966-69 ई.)

इस अवधि में तीन वार्षिक योजनाएँ तैयार की गई।

 इस अवकाश-अवधि में कृषि तथा सम्बद्ध क्षेत्र और उद्योग क्षेत्रों को समान प्राथमिकता दी गयी। योजना अवकाश का प्रमुख कारण भारत-पाक संघर्ष तथा सूखा के कारण संसाधनों की कमी, मूल्य-स्तर में वृद्धि रही।इस दौरान 3.8% की वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त हो सकी।

नोटः भारत में योजनावधि में तीन बार योजनावकाश आया।

चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-74 ई.)

यह पंचवर्षीय योजना की आर गाडगिल मॉडल पर आधारित थी।स योजना के मुख्य उद्देश्य स्थायित्व के साथ विकास तथा आर्थिक आत्मनिर्भरता की प्राप्ति थी। इस योजना में समाजवादी समाज की स्थापना’ को भी विशेष रूप से लक्षित किया गया।

 इस योजना में भारत की कृषि वृद्धि दर सर्वाधिक रही है।

इस योजना की उच्च प्राथमिकता मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक स्थिति में स्थिरता लाने की थी।परिवार नियोजन कार्यक्रम इसी योजना में लागू किए गए।

इस योजना में क्षेत्रीय विषमता दूर करने के उद्देश्य के साथ विकास केन्द्र उपागम की शुरुआत की गई। संसाधन आधारित कार्यक्रम, समस्या आधारित कार्यक्रम, लक्षित समूह उपागम, प्रोत्साहन दृष्टिकोण और व्यापक क्षेत्र उपागम आदि विकास केन्द्र उपागम के घटक थे।

नोटः विकास केन्द्र उपागम पर विशेष बल पांचवीं योजना में दिया गया।श्वेत क्रांति (ऑपरेशन फ्लड) इसी योजना काल में प्रारंभ की गयी थी।

यह योजना अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल रही। इसकी विफलता का कारण मौसम की प्रतिकूलता तथा बांग्लादेशी शरणार्थियों का आगमन था।

पाँचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-78 ई.)

इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन तथा आत्मनिर्भरता की प्राप्ति थी। यह योजना केवल चार वर्ष की थी।

योजना में आर्थिक स्थायित्व लाने को उच्च प्राथमिकता दी गई।

इसी योजना में बीस सूत्री कार्यक्रम (1975 ई.) की शुरुआत हुई।

इस योजना में पहली बार गरीबी एवं बेरोजगारी पर ध्यान दिया गया। न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम व काम के बदले अनाज कार्यक्रम का संबंध इसी योजना से है।

योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता कृषि को दी गई एवं तत्पश्चात उद्योग व खनिज क्षेत्र को।जनता पार्टी शासन द्वारा इस योजना को सन् 1978 ई. में ही समाप्त करने का निर्णय लिया गया।

अनवरत पोजना (1978-1980 ई.)

1978-83 अवधि के लिए अनवरत योजना (Rolling plan) मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार के द्वारा बनाई गई, लेकिन इंदिरा गाँधी के नेतृत्व वाली नई सरकार द्वारा यह 1980 में ही समाप्त कर दी गई।

इस योजना के दौरान उच्च मूल्य की मुद्राओं की वैधता समाप्ति, शराबबंदी, जन वितरण प्रणाली का विस्तार तथा सार्वजनिक बीमा योजना की शुरुआत की गई थी।

बोट अनवरत योजना का प्रतिपादन नारद्वारा अपनी पुस्तक एशियन डामा में किया गया था तथा इसे भारत में लागू करने का श्रेय जनता पार्टी की सरकार तथा ही टी लकडावाला को जाता है।

छठी पंचवर्षीय योजना (1980-85 ई.)

इस योजना का मुख्य उद्देश्य था। पहली बार गरीबी उन्मूलन पर विशेष जोर दिया गया।इस योजना के दौरान समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम, जैसे

महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू किये गये।

सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90)

यह योजना जॉन मिलर मॉडल पर आधारित थी।

प्रमुख उद्देश्य समग्र रूप से उत्पादकता को बढ़ाना तथा रोजगार के अधिक अवसर जुटाना 2 माग्य एवं न्याय पर आधारित सामाजिक प्रणाली की स्थापना सामाजिक एवं आर्थिक असमानताओं को प्रभावी रूप से कम करना तथा 4 देशी तकनीकी विकास के लिए सुदृढ़ आधार तैयार करना था।

भोजन, काम और उत्पादन का नारा इसी योजना में दिया गया था।

योजना में प्रति व्यक्ति आय में 3.6% प्रतिवर्ष की दर में वृद्धि हुई।

इस योजना में योजना परिव्यय की दृष्टि से पहली बार निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र की तुलना में वरीयता दी गई। इसी योजना में जवाहर रोजगार योजना जैसी महत्वपूर्ण रोजगारपरक कार्यक्रम प्रारंभ किया गया

योजना अवकाश (1990-92 ई.):

 1 अप्रैल, 1990 से 31 मार्च, 1992 तक राजनीतिक अस्थिरता एवं आर्थिक संकट के कारण एक वर्षीय योजना बनाई गयी।

नोट आदेशात्मक योजना में सरकारी ततंत्र अर्थव्यवस्था के विनियामक एवं मुख्य विकास एजेंट की भूमिका निभाता है, वही निर्देशात्मक योजना में सरकारी तंत्र अर्थव्यवस्था में सहयोगी की भूमिका में होता है। भारत में 1991 ई. के पूर्व आदेशात्मक योजना लागू थी, जबकि 1991 ई. के बाद से निर्देशात्मक योजना लागू है।

आठवी पंचवर्षीय योजना (1992-97 ई.):

 इस योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता मानव संसाधन का विकास अर्थात् रोजगार, शिक्षा व जनस्वास्थ्य को दिया गया अर्थात् मानव विकास को सारे विकास प्रयासों का सार तत्व माना गया है।

इसके अतिरिक्त आधारभूत ढाँचे का सशक्तीकरण तथा सताब्दी के अंत तक लगभग पूर्ण रोजगार की प्राप्ति को प्रमुख लक्ष्य बनाया गया। औद्योगीकरण के ढाँचे में परिवर्तन के अंतर्गत भारी उद्योग का महत्व कम करते हुए आधारिक संरचनाओं पर बल देने की शुरुआत इस योजना से की गई।

इसी काल में प्रधानमंत्री रोजगार योजना (1993ई) की शुरुआत हुई।

8वीं योजना में ही राष्ट्रीय महिला कोष की स्थापना मार्च, 1993 में भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के तहत् महिला तथा बाल विकास विभाग द्वारा एक स्वतंत्र पजीकृत सोसाइटी के रूप में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य गरीब महिलाओं को आमदनी सृजन के कार्यों के लिए या संपत्ति निर्माण के लिए लघु ऋण प्रदान करना या इस प्रावधान को बढ़ावा देना है। इसके तहत आरंभिक कोष की आरंभिक सीमा 31 करोड़ रुपए रखी गयी।

इस योजना में प्रारंभिक शिक्षा को सर्वव्यापक बनाने 15 से 35 वर्ष के लोगों में निरक्षरता को पूर्णतः समाप्त करने का प्रयास किया गया एवं इस योजना का प्रमुख लक्ष्य मैला ढोने की प्रथा को पूर्णतः समाप्त करना था।

नौवी पंचवर्षीय योजना (1997-2002ई):

 नौवीं पंचवर्षीय योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता न्यायपूर्ण वितरण एवं समानता के साथ विकास को दिया गया।

इस योजना की असफलता के पीछे अन्तरर्राष्ट्रीय मंत्री को जिम्मेदारमाना गया।

क्षेत्रीय सतुछन जैसे मुद्दे को भी इस योजना में विशेष स्थान दिया गया।

नौची योजना में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता कम में निम्नलिखित क्षेत्रों को चुना गया। भुगतान शत्रुकन सुनिश्चित करना 2 विदेशी ऋणभार को न केवल बढ़ने से रोकना बरन उसमें कमी भी बाना खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता वाल करमा प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता प्राप्त करना ही बूटियों और औषधीय मूत्र के पेड-पौधों सहित

प्राकृतिक समुचित उपयोग तथा

 

बिहार बोर्ड 10th Economics Solved Question answer 2025।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *