Bihar Board 10th हिंदी solved paper 2025
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Bihar Board 10th हिंदी solved paper 2025

1. कम्प्यूटर 

विचार बिन्दु- 1. कम्यूटर क्या है? 2. भारत में कम्प्यूटर इसका सदुपयोग तथा इससे लाभ 3. दैनिक जीवन में कंप्यूटर 4. कार्यालयी उपयोग 5. उपसंहार

कम्प्यूटर क्या है? आज कम्प्यूटर क्रांति का युग है। कम्प्यूटर को विद्युत मस्तिष्क की संज्ञा दी जाती है। यह युक्ति अधिक शुद्ध एवं तीव्र है। इसमें प्रदत्तों एवं सूचनाओं का भण्डारण किया जाता है। इनका विश्लेषण करके शुद्ध परिणाम प्राप्त किये जाते हैं। यह कह सकते हैं कि कम्प्यूटर एक ऐसी इलेक्ट्रिॉनिक युक्ति है जो किसी भी प्रकार के सभी आँकड़ों को व्यवस्थित व निर्योत्रत तो करता ही है साथ ही उक्त समय में पूर्ण शुद्धता के साथ गणना भी कर सकता है।

भारत में कम्प्यूटर इसका सदुपयोग तथा इससे लाभ- कम्प्यूटर ने धरती

और आकाश को एक कर दिया है। चाहे आप हवाई जहाज में यात्रा कर रहे हों, अथवा रॉकेट द्वारा नये-नये ग्रहों की खोज कर रहे हों, आपका हाथ कम्प्यूटर के साथ है। आज कम्प्यूटर के चलते एक दिन में हजारों पुस्तकें, हजारों अखबार और पत्रिकाएँ छप कर तैयार हो जाती हैं। प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया-सब कंप्यूटर के ही चट्टे-बट्टे हैं। फिल्म, आपरेशन थियेटर, टेलीफोन, रेल, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि कम्प्यूटर से संचालित होते हैं। इस तरह वर्तमान ज्ञान-विज्ञान सब कंप्यूटर का चमत्कार है। दैनिक जीवन में कम्प्यूटर कम्प्यूटर हमारा जीवन साथी है। घर में अगर बीवी न हो तो कोई बुरी बात नहीं, मगर घर में टी०वी० होनी चाहिए। हाथ में रिमोट हो तो साथ में दुनिया होती है। जिस संदेश को पाने में महीनों लग जाते थे, वे क्षण भर में हमारे पास आ जाते हैं। आज तमाम अनुत्तरित प्रश्नों का हल कंप्यूटर से क्षण-मात्र में किए जा सकते हैं।

कार्यालयी उपयोग कम्प्यूटर के कारण फाइलों की आवश्यकता कम हुई है। कार्यालय की सारी गतिविधियाँ फलॉपी में बंद हो जाती है। कार्यालय के दैनिक कार्यों का निपटारा कंप्यूटर द्वारा ही किया जा रहा है जिससे कार्यालय की कार्य क्षमता में वृद्धि के साथ-साथ समय की बचत भी हो रही है। आने वाले समय में समाचार पत्र भी इंटरनेट के माध्यम से पढ़ने की व्यवस्था हो जाएगी।

उपसंहार-कम्प्यूटर के चमत्कार से आँखें बंद नहीं की जा सकती। उसको उपयोगिता नजरअंदाज नहीं की जा सकती। आज कम्प्यूटर ‘सुपर माइंड’ की तरह कार्य कर. रहा है। कठिनं जीवन को सरल बनाने में कम्प्यूटर का योगदान महत्त्वपूर्ण है। आइए, आज ही हम कम्प्यूटर सीखें और अपनी किस्मत की तस्वीर बदलें।

2.बिहार तब और अब

विचार बिन्दु- 1. भूमिका, 1 अतीत, ३. विभाजन 4 और शैक्षिक प्रगति, उपलब्धियाँ।

भूमिका बिहार भारतवर्ष का एक महत्त्वपूर्ण राज्य है। यह बंगाल में हुआ था। इसकी आबादी करोड़ों में है। विहार से उड़ीसा अलग हुआ, बिहार से झारखंड अलग हुआ, अब बिहार एक छोटा पूखंड है। यहाँ भोजपुरी वैथिली पर्व मगही भाषाएँ बोली जाती है। इसके उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखंड एवं पूरब में बंगाल तथा पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य है।

अतीत-बिहार का अतीत गौरवपूर्ण रहा है। यहाँ नालन्दा एवं विक्रमशिला शिक्षण के संस्थान रहे हैं। यहाँ बुद्ध, महावीर, गुरु गोविन्द सिंह ने जन्म लिया है जिन्होंने मनुष्य मात्र को जीवन की नई दिशाएँ एवं ऊँचाइयाँ दी हैं। इस राज्य को सीता की जन्मभूमि होने का गौरव भी प्राप्त है। बक्सर में रामचन्द्र शिक्षा ग्रहण करने आए थे। गया बिहार की मोक्षदायिनी नगरी है। इसकी राजधानी पटना है।

विभाजन-विभाजन के बाद भी बिहार एक बड़ा भूखंड है। यहाँ की सड़कें तेजी से बनी हैं। छः घंटे में कहीं से भी पटना पहुँचा जा सकता है। पटना, मुजफ्फरपुर दरभंगा, छपरा, बक्सर, आरा, गया, भागलपुर इत्यादि इसके बड़े शहर हैं। यहाँ आठ विश्वविद्यालयों द्वारा उच्चतर शिक्षा दी जाती है। मेडिकल एवं अभियांत्रिक कॉलेजों की कमी है। लोग जातीयता एवं रूढ़ियों को तोड़कर आगे बढ़ रहे हैं। भाषा-शिक्षण एवं कला-शिक्षण यहाँ विकास कर रहा है। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ रामवृक्ष बेनीपुरी, आरसी प्रसाद सिंह, अरूण कमल एवं नन्दकिशोर नवल यहाँ के प्रसिद्ध साहित्यकार हैं। विभाजन के बाद से यहाँ का चहुंमुखी विकास हो रहा है। प्रशासन संवेदनशील है।

सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक प्रगति बिहार की सामाजिक, आर्थिक और शिक्षा-विषयक प्रगति तेजी से हो रही है। बिहार के लोग प्रगति के लालायित हो रहे हैं। जातीयता टूट रही है। आर्थिक और शैक्षिक प्रगति भी तेजी से हो रही है। हमें याद रखना होगा-

‘हम गिरे, गिरकर उठे, उठकर चलेइस तरह कि हमने, तय की हैं मंजिलें।’उपलब्धियाँ वर्तमान समय में बिहार का चहुमुखी विकास हो रहा है। यहाँ की सरकार कानून का राज चलाने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्तमान समय में प्र शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, परिवहन, विज्ञान आदि क्षेत्रों में विकास की एं को छु रहा है। नशाबंदी और दहेज प्रथा जैसे सामाजिक बुराई पर रोकने से सामाजिक परिवर्तन भी दृष्टिगोचर हो रहे हैं। आर्थिक दृष्टि से भी बिहार बोक राज्य से अब बाहर आ रहा है। अब बिहार भारत का तेजी बनता जा रहा है।

3.छात्र और अनुशावन

विचार विभूमिकाका

भूमिका सृष्टि के रचयिता ने जिस सृष्टि की रचना की है, वह इतनी नियमपूर्वक चलती है कि उसके एक-एक क्षण का परिवर्तन निश्चित समय पर होता है। सूर्य और चन्द्रमा का चमकना, दिन और रात का होना, पेड़-पौधों पर फल-फूल लगना आदि। ये सब कार्य इतने नियमित और निश्चित समय पर होते हैं जिन्हें देखकर आश्चर्य होता है। सृष्टि का समस्त कार्य एक निश्चित नियंत्रण या ‘अनुशासन’ के अधीन चल रहा है।

अनुशासन’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है’ अनु’ तथा ‘शासन’। इसका तात्पर्य है शासन का अनुसरण करना अर्थात् शासन के नियमों का पालन करना तथा उसके नियंत्रण में रहना। अनुशासित जीवन को ही सभ्य जीवन कहा गया है। छात्र जीवन में तो अनुशासन का बहुत अधिक महत्त्व है।

अनुशासन का महत्वअनुशासन हमारी सभ्यता का प्रथम सोपान है। यह हमारे सभ्य जीवन की आधारशिला है। छात्र जीवन में अनुशासन का विशेष महत्त्व है। यदि विद्यार्थी को विद्यालय, खेल के मैदान, छात्रावास अपने घर-परिवार तथा प्रत्यक सार्वजनिक स्थान पर अनुशासन में रहने का अभ्यास हो जाए, तो वह जीवन भर अनुशासित रहेगा। अनुशासन में रहने वाला विद्यार्थी ही देश का सभ्य नागरिक बन सकता है और वही स्वयं को अपने परिवार को तथा स्वदेश को उन्नत बनाने में सहयोग दे सकता है।

अनुशासन का मार्गदर्शन- आज छात्रों की अनुशासनहीनता देश के लिए एक ज्वलंत समस्या है। विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय में उहंडता दिखाना, शिक्षकों का अपमान करना और परीक्षा में नकल करना और कराना, रोकने पर निरीक्षकों को पीटना या उनकी जान ले लेना, बसों, रेलों में बिना टिकट यात्रा करना, छात्राओं के साथ छेड़खानी करना उनकी अनुशासनहीनता के नमूने हैं। अतः विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण के लिए नैतिक शिक्षा पर विशेष बल दिया जाना चाहिए। देश में वर्तमान शिक्षा-व्यवस्था अत्यंत त्रुटिपूर्ण है। छात्र को अपना भविष्य अंधकारमय दिखाई देता है। फलस्वरूप वह हिंसा और तोड़-फोड़ पर उतारू हो जाता है। देश के विद्यार्थी में अनुशासन की पुनः स्थापना के लिए शिक्षा पद्धति में परिवर्तन किया जाना चाहिए, ताकि उसमें विश्वास पैदा हो और वह एक सभ्य नागरिक के रूप में समाज के सामने आए। हमारे देश में प्रजातंत्र शासन व्यवस्था है. जिसमें सत्ता प्रजा के हाथों में होती है, उसे ही राष्ट्र निर्माण के लिए भावी नीतियों का निर्धारण करना है। इसके लिए अनिवार्य है कि आज का विद्यार्थी अनुशासित होकर आगे बढ़े, ताकि उनमें सच्चरित्रता, धैर्य, साहस, उत्साह, विश्वास तथा कर्तव्य परायणता को भावना जागे

 

सैतिक अनुशासन की सदा से ही आदर्श अनुशासन माना गया है, परंतु उसका मूल आधार भय और दंड व्यवस्था होते हैं। प्रजातंत्र की सफलता के लिए जनता में उच्य स्तर का अनुशासन होना जरुरी है। अतः विद्यार्थी जोवन में ही व्यक्ति में उसकी नींव पड़ जानी चाहिए। छात्रों में इस अनुशासन की स्थापना का भय या कठोर दंड व्यवस्था से नहीं अपितु उनके हृदय में सोये हुए सद्विचारों को जगाकर की जा सकती है।

 

उपसंहार अनुशासन जीवन को इतना आदर्श बना देता है कि अनुशासित व्यक्ति दूसरों की अपेक्षा कुछ विशिष्ट दिखाई पड़ता है। उसका उठना बैठना बोलना व्यवहार करना आदि प्रत्येक क्रिया में एक विशेष व्यवस्था या नियम को झलक मिलती है। अपनी समस्त वृत्तियों पर उसका पूर्ण नियंत्रण रहता है। संथार में वह कुछ विशेष कर सकने की क्षमता रखता है। उसका सब ओर सम्मान होता है तथा उसके चाण चूमती दिखायी देती हैं। अनुशासनहीन मनुष्य संसार में नि लेशमात्र भी सफल नहीं होता बल्कि वह जुझने पतन के साथ ही साथ समाज का ची विलाश करता है। अनुशासित जीवन ही वास्तविक जी

वन है अनुशामत्कोन्ता बीव है। साज के अधिकांशतः उन्हें

बिहार बोर्ड Social Scince के महत्वपूर्ण प्रश्न उतर देखें।

 

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