बिहार बोर्ड 10th History महत्वपूर्ण प्रश्न उतर 2025 ।
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बिहार बोर्ड 10th History महत्वपूर्ण प्रश्न उतर 2025 ।

मध्यकालीन भारत

27. भारत पर अरबों का आक्रमण

 म बिन कासिम के नेतृत्व में अरबों ने भारत पर पहला सफल आक्रमण किया। अरबों ने सिन्य पर 712 ई. में विजय पायी थी।

अरब आक्रमण के समय सिन्ध पर अहिर का शासन था।

भारत पर अरबवासियों के आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन-दौलत छूटना तथा इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार करना था।

28. महमूद गजनी

932 ई में नामक एक तुर्क सरदार गजनी साम्राज्य की स्थापना की जिसकी राजधानी गजनी थी।

अलप्तगीन की मृत्यु के पश्चात् कुछ समय तक गजनी में पिरीतिगीन ने शासक किया। इसी के शासनकाल (972-977 ई.) में सर्वप्रथम भारत पर आक्रमण किया गया।

प्रथम तुक आक्रमण के समय पंजाब में शाही वंश का शासक जयपाल शासन कर रहा था।

अलप्तगीन का गुलाम तथा दामाद सुबुक्तगीन 977 ई. में गजनी की गद्दी पर बैठा। महमूद गजनी सुबुक्तगीन का पुत्र था, जिसका जन्म । नवम्बर, 971 ई. में हुआ था।

अपने पिता के काल में महमूद गजनी खुरासान का शासक था।

– महमूद गजनी 27 वर्ष की अवस्था में 998 ई. में गद्दी पर बैठा।

बगदाद का खलीफा अस आदिर बिल्लाह ने महमूद गजनी के पद को मान्यता प्रदान करते हुए उसे यमीन उद् दौला तथा यमीन ऊस-मिल्लाह की उपाधि दी।

महमूद गजनी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया।

महमूद के भारतीय आक्रमण का वास्तविक उद्देश्य धन की प्राप्ति था।महमूद गजनी एक मूर्तिभजक आक्रमणकारी था।

महमूद गजनी ने भारत पर प्रथम आक्रमण 1000 ई. में किया तथा पेशावर के कुछ भागों पर अधिकार करके वह अपने देश लौट गया।

महमूद गजनी ने 1001 ई. में शाही राजा जयपाल के विरुद्ध आक्रमण किया था। इसमें जयपाल की पराजय हुई थी।

महमूद गजनी का 1008 ई. में नगरकोट के विरुद्ध हमले को मूर्तिवाद के विरुद्ध पहली महत्वपूर्ण जीत बतायी जाती है।

महमूद गजनी ने थानेसर के चक्रस्वामिन की कांस्य निर्मित आदमकद प्रतिमा को गजनी भेजकर रंगभूमि में रखवाया।

महमूद गजनी का सबसे चर्चित आक्रमण 1025 ई. में सोमनाथ मंदिर (सौराष्ट्र) पर हुआ। इस मंदिर की छूट में उसे करीब 20 लाख दीनार की संपत्ति हाथ लगी। सोमनाथ की रक्षा में सहायता करने के कारण अन्हिलवाड़ा के शासक पर महमूद ने आक्रमण किया।

> गोमनाथ मंदिर छूट कर ले जाने के क्रम में महमूद पर आटा ने आक्रमण किया था और कुछ सम्पत्ति छूट की थी।कपूर गजनी का अन्तिम भारतीय आक्रमण के विरुद्ध था। महमूद गजनी की मृत्यु 1030 ई. में हो गयी।

1027धानी इसे व्यानान्तरित करके दिल्ली बाया। इसने हौज-ए-सुल्तानी का निर्माण देहली-ए-कुहना के निकट करवाया था।

सुल्तान की उपाधि धारण करने वाला प्रथम शासक महमूद गजनी था। महमूद के रीना में सेवदराय एवं तिलक जैसे हिन्दू उच्च पदों फिदी थी तथा कच्ची महमूद पर आमीन थे। गजनी के दरबार में रहते ये।

29. मुहम्मद गौरी

गर महमूद गजनी के अधीन एक छोटा-सा राज्य था। 1173 में शहाबुद्दीन मुहम्मद गौरी गौर का शासक बना। इसने भारत पर पहला आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान के विरुद्ध किया था।

मुहम्मद गौरी का दूसरा आक्रमण 1178 ई. में पाटन (गुजरात) पर हुआ। यहाँ का शासक चीथः।। ने गौरी को बुरी तरह परास्त किया।

मुहम्मद गौरी द्वारा लहा गया प्रमुख पुढ

वर्ष पक्ष परिणाम तराइन का प्रथम युद्ध 1191 गौरी व पृथ्वीराज चौहान चौहान विजयी तराइन का द्वितीय युद्ध 1192 गौरी व पृथ्वीराज चौहान गौरी विजयी चन्दावर का युद्ध 1194 गौरी एवं जयचन्द गौरी विजयी

नोटः तराईन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान का सेनापति कन्द था।

मुहम्मद गौरी भारत के विजित प्रदेशों पर शासन का भार अपने

गुलाम सेनापतियों को सौंपते हुए गजनी लौट गया।

 पुहम्मद गौरी की हत्या 15 मार्च, 1206 ई. की कर दी गई।30. सत्तनत कालगुलाम वंश

इत्त्तुतमिश के महत्वपूर्ण कार्य . कुतुबमीनार के निर्माण को पूर्ण करवाया।

गुलाम वंश की स्थापना 1206 में कुतुबुद्दीन ऐवक ने किया या। वह गौरी का गुलाम था। 1

नोट: गुलामों को फारसी में बंदों कहा जाता है तथा इन्हें सैनिक सेवा के लिए खरीदा जाता था।कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिषेक 24 जून, 1206 को किया था। कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी काहीर में बनायी थी।

फुतुबमीनार की नीव कुतुबुद्दीनऐबक ने डाली थी।

सबसे पहले शुद्ध अरवी सिक्के जारी किए। (चाँदी का टंका एवं तौबा का जीतत) 3 . इक्ता प्रणाली चलाई।

चालीस गुलाम सरदारों का संगठन बनाया, जो तुर्कान ए चिहलगानी के नाम से जाना गया। सर्वप्रथम दिल्ली के अमीरों का

दमनः किया।

नोटः कुतुबुद्दीन के समय में कुतुबमीनार की केवल पहली मंजिल बन सफी। इल्तुतमिश ने इसे 225 फीट ऊँची चार मंजिल का बना दिया। फिरोज तुगलक के समय बिजली गिरने के कारण इसकी चौथी मंजिल नष्ट हो गयी जिसके कारण फिरोज ने इसमें दो छोटी मजिले बनवा दी जिससे इसमें पाँच मंजिक्त हो गयी और ऊँचाई 9 फीट बढ़कर 234 फीट हो गई।

दिल्ली का कृपत उल-इस्लाम मस्जिद एवं अजमेर का वाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण ऐबक ने करवाया था। कुतुबुद्दीन ऐबक को लाख बराया (खाखों का दान देनेवाला) भी कहा जाता था।

प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त करने वाला ऐबक का सहायक सेनानायक बतियार खिलजी था। ऐबक की मृत्यु 1210 ई. में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरकर हो गयी। इसे जाहीर में

दफनाया गया। ऐबक का उत्तराधिकारी आरामशाह हुआ, जिसने सिर्फ आठ महीनों तक शासन किया।

आरामशाह की हत्या करके इल्तुतमिश 1211 ई. में दिल्ली की गद्दी पर बैठा।

ल्तुतमिश तुर्किस्तान का इल्बहरी तुकं था, जो ऐचक का गुलाम एवं दामाद था। ऐवक की मृत्यु के समय वह बदायूँ का गवर्नर था।

द्वारा लिअर्थव्यवभादौर

विनअर्थव्यवकी अर्थमंगोन भंगी वीनस के रेगिस्तान के निवासी थे। एक घूमने-फिरने वाली जाति थी तथा उनका मुख्य ल्तुतमिश पहला शासक था, जिगने 1229 ई. में बगदाद को खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की। – इल्तुतमिश की मृत्यु अप्रैल, 1236 ई. में हो गयी।

चगेज खाँ से बचने के लिए ख्यारिज्म के सम्राट जलालुद्दीन को इल्तुतमिश ने अपने यहाँ शरण नहीं दी थी।घोड़ों और अन्य पशुओं का करना था। वे बहुत गर्नेह तथा सभी प्रकार का गौत्र क थे। उनमें न्त्री विषयक नैतिक का गर्वचा अभाव या वरका सम्मान करते थे। कबीलों में बंटे थे, उन्नी की से एक में 1163 ई. लेमूधिर चंगेज खाँ का जन्म हुआ महान (Chengiz the gre और श्रापित (The Accune दोनों पुकारा गया। इसका नि

येसूगाई बहादुर था। शाह तुरकान के अवांछित प्रभाव से परेशान होकर तुर्की की ने रुकनुद्दीन को हटाकर रजिया को सिंहासन पर आसीन किय इस प्रकार रजिया बेगम प्रथम मुस्लिम महिला थी, जिसने क की बागडोर संभाली।

इल्तुतमिश के बाद उसका पुत्र रुकनहीन फिरोज गद्दी पर बैठा, यह एक अयोग्य शासक था। इसके अल्पकालीन शासन पर उसकी माँ शाह तुरकान ताईती

रजिया ने पर्दाप्रथा का त्यागकर तथा पुरुषों की तरह घोगा (क एवं कुलाह (टोपी) पहनकर राजदरवार में खुले मुँह से जाने रजिया ने मठिक जमालुद्दीन याकूत को अमीर-ए-अपूर (घोड़े सरदार) नियुक्त किया।

गैर तुकों को सामत बनाने के रज़िया के प्रयासों से तुर्की विरुद्ध हो गए और उसे बंदी बनाकर दिल्ली की गद्दी पर मुजुद्दी बहरामशाह को बैठा दिया।

रजिया की शादी अल्तुनिया के साथ हुई। इससे शादी करने। बाद रज़िया ने पुनः गद्दी प्राप्त करने का प्रयास किया, लेि वह असफल रही। रजिया की हत्या 13 अक्टूबर, 1240 ई. में डाकुओं के द्वारा कैथल के पास कर दी गई।

 वहराम शाह को बंदी बनाकर उसकी हत्या मई, 1242 ई. में बाई गई। उसके बाद दिल्ली का सुल्तान अलाउद्दीन मसूद शाह बन बल्बन ने षड्यंत्र के द्वारा 1246 ई. में अलाउद्दीन मसूद ह मुल्तान के पद से हटाकर नासिरुद्दीन महमूद को सुल्तान बना दिय

नासिरुद्दीन महमूद ऐसा सुल्तान था जो टोपी सीकर अपना जोश निर्वाह करता था।

बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नासिरुद्दीन महमूद के साथ किया

 वडवन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था। यह इल्तुतमिश गुलाम था। तुर्कान-ए-विहलगानी का विनाश बलवन ने किया बलवन 1266 ई. में गियासुद्दीन बतबन के नाम से दिल्ली की पर बैठा। यह मंगोलों के आक्रमण से दिल्ली की रक्षा करने सफल रहा। सीरी नामक नया नगर बलबन ने बसाया था। राजदरबार में सिजदा एवं पैवोस प्रथा की शुरुआत बलयन ने की

बलबन ने फारसी रीति-रिवाज पर आधारित नवरोज (फारसी सो का पहला दिन) उत्सव को प्रारंभ करवाया।

अपने विरोधियों के प्रति बजबन ने कठोर लौह एवं रक

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