बिहार बोर्ड 10th हिंदी महत्वपूर्ण प्रश्न उतर देखें।
10th Exam 12th Exam Bihar Board Exam Matric Exam

बिहार बोर्ड हिंदी 10th Vvi solved Question answer 2025

1राजनीति और भ्रष्टाचार

विचार बिन्दु – 1. प्राचीन स्वरूप, 2. वर्तमान स्थिति, 3. सत्ता लोलुपता, 4. भ्रष्ट आचरण का बोलबाला, 5. समाधान के उपाय।

प्राचीन स्वरूप राजनीति प्राचीन काल में साफ-सुथरी थी। राजतंत्र में राजा जनता की भलाई के लिए तत्पर रहता था। परन्तु राजनीति बेईमानी को अपना आधार मानकर चलती है। लोगों में नैतिकता, सदाचरण, विनम्रता, सत्यवादिता इत्यादि का अभाव हो गया है।

वर्तमान स्थिति आजादी के समय देश के समस्त नेताओं ने ‘रामराज्य’ के स्वप्न को साकार करने का संकल्प लिया परंतु वर्तमान में भारतीय राजनीति का अपराधीकरण जिस तीव्र गति से बढ़ रहा है उसे देखते हुए कोई भी कह सकता है कि हम अपने लक्ष्य से पूर्णतः भटक चुके हैं।

सत्ता लोलुपता आज की राजनीति में सत्ता लोलुपता बढ़ गयी है। राजनीति देश-सेवा का नाम नहीं रही। देश के विकास पर किसी का ध्यान नहीं है। सभी येन-केन-प्रकारेण कुर्सी पर बैठना चाहते हैं। अमेरिका, चीन, पाकिस्तान-ये विदेशी भी भारत की राजनीति को कमजोर करके रखना चाहते हैं। घूस देकर समझौते कराते हैं और फिर हिन्दुस्तान को लूटते हैं। सोनिया, लालू, मुलायम, मायावती-सभी सत्ता के लिए जीभ लपलपाते रहते हैं। लूटना इनका धर्म बन गया है।

भ्रष्ट आचरण का बोलबाला स्वतंत्रता के बाद राजनीति में इतनी गड़बड़ी क्यों आ गयी? भ्रष्ट आचरण का ही बोलबाला हो उठा है। चरित्रवान् एवं वास्तविक रूप से शिक्षित लोगों की कमी हो गयी है। भांगी मात्र भ्रष्ट हो गया है। आनेवाली पौड़ियाँ भी आँखें चार करने में लगी हैं। माता पिता एवं गुरु की कील सुरता है? यह सब बीते दिनों की बात हो गयी। जब राजा ही लुटेरा हो गया तो प्रजा को तो उसी रास्ते पर चलना था। सिता डिक्रीमूलक हो गयी है, चरित्रमूलक नहीं।

समाधान के उपाय राजनीति को भ्रष्टाचार से रोग कवं पड़ जाय तो ईलाज संभव नहीं होता। भारतीय मुक्त करने के लिए शिक्षा ही एकमात्र दवा बची है।

2. आदर्श विद्यार्थी

विचार बिन्दु- 1. भूमिका, 2 अच्छे विद्यार्थी के गुण, 3. सहपाठियों में अच्छा व्यवहार, 4. गुरुजनों के प्रति अद्धा एवं आज्ञाप

भूमिका विद्यार्थी का जीवन मनुष्य जीवन की आधारशिला है जहाँ गुरु का दायित्व शिष्य को अच्छी शिक्षा देना है वही एक आदर्श विद्यार्थी का दायित्व होता है कि सम्मानपूर्वक वह शिक्षा को ग्रहण करे साथ ही अपने गुरुजतों का सम्मान करें। एक आदर्श विद्यार्थी परिश्रम और लगन से अध्ययन कर तथा सद्गुणों को अपनाकर स्वयं का ही नहीं, अपने माता-पिता, गुरुजनों और विद्यालय का नाम ऊँचा ‘करता हो वह अन्य विद्यार्थियों के लिए अनुकरणीय होता है।

अच्छे विद्यार्थी के गुण-अच्छे विद्यार्थी कुशाग्र बुद्धि के होते हैं। ये पढ़ाई के किसी भी काम को परिश्रमपूर्वक पूरा करते हैं। उनमें प्रत्युत्पन्नमतित्व होता है। उनमें अहंकार का अभाव होता है। ये ज्ञान के भंडार होते हैं। वे सभी विषयों पर अपना अधिकार बनाकर रखते हैं। वे पढ़ाई से अलग रहकर दुनियादारी की बात न सोचते और न करते हैं। उन्हें अर्जुन की तरह केवल चिड़िया की आँख दिखाई पड़‌ती है। उनकी लिपि आकर्षक और उत्तर प्रभावशाली होता है। चे पढ़ाई-लिखाई को गम्भीरता से ग्रहण करते हैं।

सहपाठियों से अच्छा व्यवहार-अच्छे विद्यार्थी का एक गुण यह भी होता है कि वे अपने गुरुजनों एवं अभिभावकों का सम्मान तो करते हो हैं, सहपाठियों से विनम्रता एवं मैत्री का भाव रखते हैं। वे उनसे सीखते और उन्हें सिखाते हैं। वे शिक्षकों के साथ-साथ अपने सहपाठियों से भी सम्मान पाते हैं। वे पूरी कक्षा के सहपाठियों पर अपनी उत्तमता का अच्छा प्रभाव डालते हैं। तब पूरे वर्म की उन्नति

है। वे गरीब एवं दूसरे धर्म एवं जति के सहपाठियों से भेदभाव नहीं करते। गुरुजनों के प्रति श्रद्धा एवं आज्ञाकारिता-अच्छे विद्यार्थी गुरुजनों के प्रति

सम्मान ही नहीं श्रद्धा भी प्रकट करते हैं। वे श्रद्धापूर्वक उनको नमस्कार करते हैं। ये शिक्षकों की आज्ञा मानते हैं। ये शिक्षकों के इशारे तक को समझते हैं। वे उनके दिशा-निर्देशों का पालन शत-प्रतिशत करते है। हम कह सकते हैं कि अच्छे विद्यार्थी सर्वगुण सम्पन्न हीही द्धा लभते ज्ञानम्।

3.मेरे आदर्श महापुरुष

विचार बिन्दु- 1. भूमिका, 2. महापुरुष का परिचय, 3. महापुरुष का आधार, 4. सामान्य जन के लिए संदेश, 5. उपसंहार।

भूमिका मेरे आदर्श पुरुष महात्मा गाँधी हैं। मुझे उनसे ऊँचा व्यक्तित्व आधुनिक युग में कोई दूसरा नहीं दिखाई पड़ता है। सत्य के मार्ग पर चलना उन्होंने पूरी दुनिया को सिखलाया। अहिंसा के रास्ते को कभी मनुष्य को नहीं छोड़ने की सीख उन्होंने दी। सत्याग्रह की सीख कभी भूली न जा सकेगी। यही कारण है कि

वे मेरे आदर्श महापुरुष हैं। महापुरुष का परिचय महात्मा गाँधी से सारा संसार परिचित है। भारत को

उन्होंने सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग पर चलकर आजाद कराया। महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। इनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई० पोरबंदर गुजरात में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का पुतलीबाई था। पूरा भारत इन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।

महापुरुष का आधार महात्मा गाँधी के महापुरुषत्व का आधार है-

शुचितापूर्ण ढंग से चलकर मानवता प्रदर्शित करना। वे अपने जीवन को सत्य का प्रयोग मानते थे। वे यज्ञपूर्ण जीवन जीते थे। सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह के मार्ग पर वे चलते थे। उनका विश्वास ‘सत्यमेव जयते’ में था।

सामान्य जन के लिए संदेश गाँधीजी विश्व बंधुत्व के पोषक एवं मानव

मात्र के हित-चिन्तक थे। उन्होंने अपना जीवन सत्य की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। वे सामान्य जन को सत्य और अहिंसा का संदेश दिया। उनका जीवन भोगवादी नहीं वरन् त्यागपूर्ण था। उनका जीवन-त्याग, क्षमा, दया, तपस्या, सद्भाव आदि के पवित्र भावों को आचरण में लाने का पर्याय है। गाँधीजी की अन्तर्दृष्टि इस सच्चाई को परख चुकी थी कि मनुष्य की वास्तविक शक्ति उसके शरीर में न होकर उनकी आत्मा में है। अपने सपनों के भारत में उन्होंने कहा है ‘मैं ऐसेभारत के लिए काम देश उसका है और इसके है।

उपसंहार समासतः हम कह सकते हैं कि आधुनिक युग में महात्मा गाँधी हो उच्च व्यक्ति के महापुरुथे। इसीलिए महापुरुष हैं। मैं उनके बताए रास्ते पर चलाता हूँ। दूसरों के लिए किए दूसरों के लिए गरे। उनका बलिदान अमर रहेगा।

4. बिजली की आवश्यकत्ता

विचार विन्दू- 1. भूमिका, 2. बिजली ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्त्रोत,

भूमिका बिजली विज्ञान की बहुत बड़ी देन है। वर्तमान समय में बिजली के बिना आधुनिक जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। बिजली आज हमारे ताजीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन चुकी है। बिजली हमारे जीवन को आरामदायक बना दिया है। बिजली ऊर्जा का शक्तिशाली स्रोत है जिसका प्रयोग अनेक प्रकार को के कामों में होता है।जली ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्त्रोत- बिजली ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है।

इससे शहरों का जीवन सुखकर बन जाता है। पेट्रोल, डीजल ऊर्जा के महँगें स्रोत ई हैं। इसलिए भारत के लगभग सभी राज्यों को बिजली का उत्पादन बढ़ाना होगा। बिजली कृषि-व्यवस्था में भी सहायक सिद्ध होती है। भारत में कृषि के लिए पानी की कमी हो जाती है। बिजली द्वारा निकाले जाने वाला पानी सस्ता भी पड़ता है। कल-कारखाने तो बिजली पर हो निर्भर रहते हैं। आज परमाणु विखंडन से भी बिजली ई पैदा की जा रही है। यह बिजली सस्ती पड़ती है। जिन शहरों में पहले बिजली दी जाती थी, अब बिजली नहीं मिलने के कारण बड़े-बड़े कारखाने बन्द हो गए हैं। शहरों की पढ़ाई-लिखाई एवं अस्पताल पर भी बिजली की कमी का प्रभाव पड़ा है।

घर, कार्यालय, कारखाना, यातायात सब किसी-न-किसी प्रकार बिजली पर काँही निर्भर करते हैं। घरों में बिजली की कमी से पानी भी शुद्ध एवं ठंडा या गर्म नहीं किया जा सकता। पंखें बंद हो जाते हैं। मोटर पानी नहीं खींचता है। बच्चे पढ़ नहीं पाते। कार्यालयों में एसी लगे हैं, पंखें लगे हैं। लेकिन बिजली आपूर्ति में बाधा पड़ने पर कार्यालय की गाड़ी रुक जाती है। समय पर कार्य सम्मन्न नहीं हो पाते। कारखाने तो बिजली पर ही निर्भर रहते हैं। ये कारखाने बन्द हो जायें तो राष्ट्र का उत्पादन गिर जाता है। विदेशों से तब हमें महँगी चीजें खरीदनी पड़‌ती है। रेलगाड़ी आजकल बिजली से चलती है। आपूर्ति बाधित होते ही देशभर की रेलगाड़ि‌याँ जहाँ की तहाँ रुक जाती है। स्टेशनों पर अँधेरा छा जाता है। लिंक फेल हो जाने पर टिकट तक मिलना मुहाल हो जाता है।

उपसंहार-उपसंहारतः हम कह सकते हैं कि भारत एवं बिहार को बिजली की आवश्यकता अधिक है। बिजली उत्पादन बढ़ाकर ही भारत विदेश के स्तर से ऊपर बढ़‌कर विकसित राष्ट्र की श्रेणी में नामांकित

 

बिहार बोर्ड हिंदी का महत्वपूर्ण प्रश्न उतर देखें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *